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अरविंद में लाख खुबियां हों, पर दो ऐसी बुराइयां हैं जो बेहद खतरनाक हैं : प्रशांत भूषण

नयी दिल्ली : आम आदमी के अंदर का घमसान और तेज हो गया है. शनिवार को होने वाली पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक से ठीक पहले असंतुष्ट धडे के नेता योगेंद्र यादव व प्रशांत भूषण ने प्रेस क्लब में एक संवाददाता सम्मेलन कर अरविंद केजरीवाल की शैली, पार्टी की कार्यप्रणाली, केजरीवाल के आसपास के […]

नयी दिल्ली : आम आदमी के अंदर का घमसान और तेज हो गया है. शनिवार को होने वाली पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक से ठीक पहले असंतुष्ट धडे के नेता योगेंद्र यादव व प्रशांत भूषण ने प्रेस क्लब में एक संवाददाता सम्मेलन कर अरविंद केजरीवाल की शैली, पार्टी की कार्यप्रणाली, केजरीवाल के आसपास के लोगों व पार्टी के भविष्य से जुडे कई अहम सवाल उठाये और यह मांग की कि वे दोनों पार्टी संगठन के सभी पदों को छोडने के लिए तैयार हैं, अगर उनकी ये मांगें मान ली जाती हैं. दोनों नेता ने इस बात पर जोर दिया कि आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में उनके उठाये गये सवालों का जवाब तलाशने की कोशिश की जाये.
योगेंद्र यादव ने कहा कि आम आदमी पार्टी देश के शुद्धीकरण का आंदोलन है. यह सत्ता जनता को वापस देने का अंदोलन है.
उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक मर्यादा का आंदोलन है और इस पार्टी से देश के लोगों को बहुत उम्मीदें हैं. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी नयी राजनीतिक मार्यादा स्थापित करने आया है. उन्होंने कहा कि बहुत कुछ टूटा है, पिछले एक महीने में. उन्होंने कहा कि आंतरिक लोकतंत्र पर आज भी यहां चर्चा होती है. तमाम दलों में इसके लिए दरवाजे बंद हो गये हैं. यह एक मात्र पार्टी है, जहां पारदर्शिता पर, हितों के टकराव पर, कार्यकर्ताओं की आवाज पर, मर्यादा पर, संगठन में स्वराज पर चर्चा होती है. उन्होंने कहा कि यह छोटी उपलब्धि नहीं है.
उन्होंने कहा कि कि महत्वपूर्ण बात दो व्यक्ति नहीं हैं, महत्वपूर्ण यह है कि पार्टियों के बीच क्या होता है. योगेंद्र यादव ने कहा कि हम दोनों तो नमित्त मात्र हैं, आम आदमी पार्टी में, जैसे देश के लिए आम आदमी पार्टी निमित्त मात्र है. यह व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है. उन्होंने कहा कि देश के लाखों लोग इस आंदोलन की आत्मा से जुडे हैं. यह सिर्फ हमारा मुद्दा नहीं है. उन्होंने आम आदमी पार्टी की कार्यप्रणाली को लेकर कुछ अहम सवाल उठाये, जो इस प्रकार हैं :
1. मूल मुद्दा यह है कि जिस स्वराज को हम देश में लागू करना चाहते हैं, वह पार्टी के भीतर होगा या नहीं.
2. हमने राज्य इकाइयों की स्वायत्ता का सवाल उठाया. हमने कहा कि पंचायत और नगरपालिका चुनावों के लिए फैसला लेने का अधिकार उन्हें दिया जाये.
3. मर्यादा उल्लंघन की जांच लोकपाल के द्वारा करायी जाये.
4. हमने कुछ अहम मुद्दों की जांच की मांग की है. जैसे, पार्टी को दो करोड रुपये चंदा दिये जाने की, उत्तमनगर शराब बांटे जाने की, कानून मंत्री की डिग्री की जांच की और दिल्ली में जोड तोड कर सरकार बनाने के फैसले की.
5. कार्यकर्ताओं की बात सुनी जाये, अहम फैसलों के लिए उनकी वोटिंग करायी जाये, यह अलग बात है कि उनकी बात मानी जायेगी या नहीं.
6. पारदर्शिता का सिद्धांत खुद पर लागू करें. यह सिर्फ दूसरों के लिए नहीं होना चाहिए.
7. केंद्रीय सूचना आयोग के फैसले को स्वीकार कर पार्टी संगठन को आरटीआइ के दायरे में लाना चाहिए. यह मांग हम सिर्फ दूसरे के लिए न करते रहें.
8. कार्यकारिणी के रिक्त पदों को भरा जाये, इसमें नये लोग शामिल किये जायें.
9. 15 दिन से पार्टी संविधान की कॉपी वेबसाइट से क्यों हटा दी गयी है.
10 अरविंद केजरीवाल के सहयोगी हर सवाल को उनसे जोड कर क्यों देखते हैं.
11. क्या आम आदमी पार्टी दूसरे दलों की तरह ही बन जायेगी या फिर एक क्षेत्रीय पार्टी बन कर रह जायेगी.
12 क्या हम कार्यकर्ताओं से भाजपा कांग्रेस की तरह ट्रिट करेंगे और सिर्फ चुनाव में ही उनकी बात सुनेंगे.
योगेंद्र यादव ने कहा कि 17 तारीख को हमने एक पत्र अहम सवालों को उठाते हुए दिया था, जिसमें हमने कहा था कि हमारी मांगें अगर मान ली जाती हैं तो हम सभी पद छोड देंगे, लेकिन इन लोगों ने उस पत्र को ही हमारा त्यागपत्र बना दिया. उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि उन दोनों के बहाने पार्टी के हित की बात शुरू हो और उस उम्मीद प्रकट की कि कल नेशनल काउंसिल में उस पर चर्चा हो. उन्होंने कहा कि यह इसलिए आवश्यक है क्योंकि यही आंदोलन का मूल सवाल है. उन्होंने कहा कि हमने राष्ट्रीय संयोजक के मुद्दे को एक बार भी नहीं उठाया. उन्होंने कहा कि पार्टी में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि किसी भी छोटे बडे की जांच करायी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह आत्मा को बचाये रखने का आंदोलन है.
वहीं प्रशांत भूषण ने भी अरविंद केजरीवाल की शैली व उनके लोगों पर सवाल उठाये. उन्होंने कहा कि जब 16 मार्च को केजरीवाल बेंगलुरु से दिल्ली आने वाले थे, उसी दिन मैंने उन्हें एसएमएस कर आपस में मिल बैठ कर समस्याएं हल करने को कहा था, लेकिन 11 दिन हो गये अबतक उन्हें समय नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने अपने तरफ से लोगों को वार्ता के लिए भेजा था और हमने अपनी ओर से प्रो आनंद कुमार व प्रो अजीत कुमार झा को इसकी जिम्मेवारी दी थी. बाद में वे लोग योगेंद्र यादव से भी मिले. प्रशांत भूषण ने कहा कि लेकिन केजरीवाल के प्रतिनिधियों का हमारे सवालों पर यही जवाब होता था कि हम वह सब देख लेगें लेकिन आप इस्तीफा दे दीजिए. इस बारे में पूछने पर वह कहते कि हम नहीं अरविंद केजरीवाल ऐसा चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि हमने जो चार अहम मुद्दे उठाये थे, उसे पार्टी लोकपाल एडमिरल रामदास को रेफर करने की बात कही.
प्रशांत भूषण ने कहा कि अरविंद केजरीवाल 67 विधायकों को लेकर नयी पार्टी बनाना चाहते थे. उन्होंने कहा कि अरविंद के मन में यह धारणा क्यों बनी? उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के के बाद यह सिलसिला शुरू हुआ. इसके बाद दिल्ली में सरकार बनाने की कोशिश हुई. उन्होंने केजरीवाल पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह शिमला में थे, तब इस संबंध में पार्टी की बैठक बुलायी गयी थी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के समर्थन से सरकार गठन का पांच पीएसी के पांच सदस्यों ने विरोध किया था, जबकि चार ने समर्थन किया था. उसके बावजूद केजरीवाल ने बहुमत का फैसला यह कह कर खारिज कर दिया कि वह राष्ट्रीय संयोजक हैं और ऐसे में सबों का पक्ष जानने के बाद अंतिम फैसला लेने का उन्हें हक है. उन्होंने कहा कि मैंने कहा कि ऐसा होने पर पार्टी टूट जायेगी. मैंने इस मुद्दे को राष्ट्रीय कार्यकारिणी को रेफर करने के लिए कहा. वहां भी बहुमत से इस फैसले को खारिज कर दिया. फिर भी उप राज्यपाल को चिट्ठी दे दी कि हम जनता से यह जानना चाहते हैं कि कांग्रेस से समर्थन लें या नहीं. जबकि इसी दौरान कोर्ट में हमारा केस विधानसभा भंग करने को लेकर चल रहा था. प्रशांत भूषण ने कहा कि पहले तो समर्थन लेने के दावे को पार्टी ने खारिज किया, फिर कांग्रेस ने मना कर दिया और जब मीडिया में पार्टी की चिट्ठी सरकार बनाने के संबंध में आयी तो उससे हमारी भद्द पीट गयी.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के उन्हीं छह विधायकों का समर्थन लेने की बात कही गयी, जिस पर हमारी पार्टी ने चार चार करोड रुपये देकर भाजपा द्वारा खरीदने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा कि इस संबंध में हमें निगोसिएशन के बारे में नहीं बताया जाता और हमें भनक लगती तो हम उसका विरोध करते.
प्रशांत भूषण ने कहा कि मैंने अरविंद केजरीवाल से कहा कि तुममें बहुत खुबियां होंगी, लेकिन दो ऐसी खामी है जो खतरनाक है. एक यह कि तुम यह चाहते हो कि तुम जो चाहो वही फैसला लिया जाये, इसलिए डिसीजन मेकिंग में ऐसे लोगों को रखा ही न जाये जो विरोध करें. दूसरा कि उसने मुझसे कहा कि मैं ऐसे संगठन में रहता ही नहीं जहां मेरी नहीं चलती हो. प्रशांत भूषण ने कहा कि ये दो ऐसी खामी है जो बेहद खतरनाक है. उन्होंने कहा कि मैंने अरविंद को समझाया कि ऐसे लोग संगठन में जरूरी हैं, जो स्वतंत्र राय रखते हों और हिम्मत कर कह सकें तुम्हारे सामने अपनी बात.
भूषण ने कहा कि अरविंद को लोकसभा चुनाव के बाद लगता था कि अगर हमने सरकार नहीं बनायी तो पार्टी खत्म हो जायेगी. इसलिए सरकार बनायी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि नीयत के साथ उद्देश्य भी साफ हो. उन्होंने कहा कि श्रीमती इंदिरा गांधी को भी लगता होगा कि उन्होंने इमरजेंसी देश की भलाई के लिए लगायी और नरेंद्र मोदी को लगता होगा कि मुसलिमों को सबक सिखा कर उन्होंने देश को टूटने बचा लिया. उन्होंने कहा कि हमारे खिलाफ कल मीडिया में झूठी खबरें चलवा दी गयी. उन्होंने कहा कि हमारी एक भी बात उन लोगों ने नहीं मानी है. उन्होंने पांच मुद्दों पर हमारी बात मान ली जाये तो हम कल ही एक्जक्यूटिव बॉडी से त्यागपत्र दे देंगे. उन्होंने कहा कि योगेंद्र यादव को यह बार बार कहा गया कि वे हरियाणा का संयोजक बन जायें.
उन्होंने कहा कि मैंने राष्ट्रीय परिषद की बैठक को लेकर उसके सचिव पंकज गुप्ता को पत्र लिखा है. उनसे कहा है कि बिल्कुल व्यवस्थित तरीके से बैठक चले. उससे शोर शराबा या कुछ ऐसा नहीं हो कि बैठक रद्द कर दी जाये. उन्होंने कहा कि यह होना चाहिए कि उससे पहले राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर एजेंडा तय कर लिया जाये. कुछ लोगों ने ऐसी मांग की, लेकिन मांग मानी नहीं गयी. उन्होंने कहा कि मैंने नेशनल एक्जक्यूटिव की सूची भी मांगी है. हमने इस पूरे मामले में लोकपाल को इनवाल्व करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि हमने बैठक की वीडियोग्राफी करवाने की भी मांग की है.
उन्होंेने कहा कि पहले ऐसा होता था, लेकिन पिछली मीटिंग से नहीं की जा रही है. उन्होंने कहा कि पता चला है कि मोबाइल पर भी रोक लगा दी गयी है. प्रशांत भूषण ने कहा कि दूसरी बडी पार्टियां तो मीडिया को भी बुलाता है. उन्होंने कहा कि बंद कमरे में फैसला लेंगे तो गलत होगा और विवादित मुद्दे पर गुप्त वोटिंग होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सिर्फ कार्यकारिणी के सदस्य को ही वोट करने दिया जाये.
उन्होंने कल की बैठक को लेकर आशंका जताते हुए कहा है कि विधायकों को 50 लोग लेकर पहुंचने को कहा गया है और उन्हें भी आमंत्रित सदस्य बना दिया गया है.

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