समस्तीपुर : सरकारी और गैर सरकारी संगठनों के तमाम प्रयासों के बावजूद जिले में कालाजार रोग के प्रसार पर काबू नहीं पाया जा सका है. यह रोग बालू मक्खी के कारण फैलता है. गीले और नमी वाले स्थान खासतौर से कच्चे मकानों में इस मक्खी के होने की अधिक आशंका होती है. इस रोग से बचने के उपायों में इलाके में स्वच्छता बनाए रखना और समय-समय पर डीडीटी का छिड़काव करना शामिल है.
बिहार के 38 में से 31 जिले कालाजार से प्रभावित हैं और इनमें सर्वाधिक प्रभावित जिलों में समस्तीपुर भी शामिल है. कालाजार रोग के मामले आमतौर पर गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों में अधिक पाय गये हैं, इसलिए केंद्र सरकार ने इन मरीजों के अस्पताल में भरती होने पर उन्हें मुफ्त इलाज, भोजन और दवा के साथ-साथ उनके काम के नुकसान के बदले इलाज के दौरान प्रतिदिन पचास रु पये नकद देने की भी व्यवस्था की है.
चिकित्सक एवी सहाय का कहना है कि कालाजार एक ऐसी परजीवी बीमारी है, जो हर वर्ष सैकड़ों लोगों को अपनी गिरफ्त में लेती है और कई लोगों की मौत का कारण भी बनती है. इस बीमारी के बारे में और इस बीमारी के वाहक मच्छर (सैंड फ्लाई) के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए स्कूली पाठ्य पुस्तक में एक अध्याय शामिल करने का निर्णय लिया गया था, जो अभी भी संचिकाओं में ही है. मिली जानकारी के अनुसार कालाजार से प्रभावित जिले में 542 गांव हैं. इन गांवों के 22 लाख 36 हजार 815 लोगों को इस रोग से बचाने के लिए विभाग ने 83880 क्विंटल डीडीटी की मांग की है.