फोटो 8 (मौके पर उपस्थित कृषक.प्रतिनिधि, जमुई सीसा परियोजना के तहत कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा बिना जुताई के गेहूं की बुआई पर प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया. इस मौके पर उपस्थित किसानों को संबोधित करते हुए कृषि वैज्ञानिक प्रमोद कुमार सिंह ने कहा कि अब पारंपरिक तरीके से खेती करना किसी भी दृष्टिकोण से लाभप्रद नहीं है. क्योंकि आबादी बढ़ने के साथ-साथ पैदावार बढ़ाना भी अनिवार्य हो गया है और यह तभी संभव है जब खेती करने के लिए आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग किया जाय. जीरो टिलेज से बिना जुताई किये खाली खेत में मशीन के माध्यम से कतार में बुआई करने से निर्धारित मात्रा में बीज निर्धारित जगह पर खाद के साथ गिरता है. उन्होंने कहा कि इस विधि में अंकुरण का प्रतिशत अधिक होता है. साथ ही समय पर बुआई होने से गेहूं पछुआ हवा के प्रकोप में आने से भी बच जाता है. इस मशीन का प्रयोग करने से समय,श्रम व पूंजी की बचत होती है तथा उपज अपेक्षाकृत अधिक मिलती है. लगभग 28 से 30 प्रतिशत तक पानी की भी बचत होती है. श्री सिंह ने बताया कि इस वर्ष जिले में चार हजार एकड़ से ज्यादा क्षेत्रफल में जीरो टिलेज से खेती की गयी है. उन्होंने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि कभी भी अधिक मात्रा में खर-पतवार नाशी का प्रयोग न करें. केंद्र के समन्वयक डा. सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि अनुभव व खोज ही दरअसल ज्ञान-विज्ञान की महत्वपूर्ण विरासत है. इसी की एक देन जीरो टिलेज भी है. इस अवसर पर किसान सलाहकार मुकुल कुमार, गुड्डू सिंह,कृष्णा सिंह,रंजन कुमार,गब्बर कुमार आदि मौजूद थे.
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बिना जुताई गेहूं की बुआई पर प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन
फोटो 8 (मौके पर उपस्थित कृषक.प्रतिनिधि, जमुई सीसा परियोजना के तहत कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा बिना जुताई के गेहूं की बुआई पर प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया. इस मौके पर उपस्थित किसानों को संबोधित करते हुए कृषि वैज्ञानिक प्रमोद कुमार सिंह ने कहा कि अब पारंपरिक तरीके से खेती करना किसी भी दृष्टिकोण से […]
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