नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को दूरसंचार स्पेक्ट्रम की हाल ही में संपन्न सबसे बडी नीलामी के नतीजों को अंतिम रूप देने की आज अनुमति प्रदान कर दी. इस नीलामी से 1.09 लाख करोड रुपये का राजस्व मिला है. शीर्ष अदालत ने साथ में यह भी कहा है कि नीलामी को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया उसके समक्ष लंबित मामलों के नतीजों के दायरे में रहेगी जिसमें भारती हेक्साकाम लिमिटेड और रिलायंस टेलीकाम लिमिटेड सहित प्रमुख संचार कंपनियों ने स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिये निविदा आमंत्रित करने के नोटिस के स्वरुप की वैधता को चुनौती दे रखी है.
हालांकि, न्यायमूर्ति दीपक मिश्र और न्यायमूर्ति पी के पंत की खंडपीठ ने कहा कि वह 26 फरवरी के अपने आदेश में सुधार की पक्षधर है. इस आदेश के तहत न्यायालय ने चार मार्च, 2015 से शुरू हुई नीलामी कार्यक्रम को इस शर्त के साथ अनुमति प्रदान की थी कि इसे न्यायालय की अनुमति के बगैर अंतिम रूप नहीं दिया जायेगा. न्यायाधीशों ने कहा, ‘हम अपने आदेश में सुधार कर रहे हैं और केंद्र सरकार को नीलामी को अंतिम रूप देने तथा आगे की कार्यवाही की अनुमति दे रहे हैं.
सभी सफल बोली लगाने वालों को निर्देश (केंद्र द्वारा) दिया जायेगा कि नीलामी के नतीजे को दिया गया अंतिम रूप मुकदमों के नतीजे पर निर्भर करेगा.’ न्यायालय ने कहा कि सरकार कल संपन्न हुयी नीलामी की जानकारी सार्वजनिक करने के बाद सभी सफल बोली लगाने वालों से कहेगी कि वे शीर्ष अदालत में लंबित मामले में खुद को पक्षकार बनायें. न्यायालय ने कहा कि पक्षकार बनाये गये पक्ष अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करते हुये हलफनामे दाखिल करेंगे. न्यायालय ने इसके साथ ही इस मामले को सुनवाई के लिये 16 अप्रैल को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया जब नीलामी की प्रक्रिया की वैधता पर सवाल उठाने वाले तमाम बिन्दुओं पर भी विचार किया जायेगा.
शीर्ष अदालत ने 26 फरवरी को सरकार को सभी राज्यों में 800, 900, 1800 और 2100 बैन्ड्स के स्पेक्ट्रम की नीलामी की अनुमति दे दी थी. अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी के अनुसार इस नीलामी ने कडी प्रतिस्पर्धा देखने को मिली और इससे 1.09 लाख करोड रुपये का राजस्व मिला. रोहतगी ने कहा कि यदि रोक के आदेश में सुधार नहीं किया तो केंद्र सरकार को 31 मार्च तक 28,000 करोड रुपये की अग्रिम राशि एकत्र करने में परेशानी का सामना करना पडेगा जो सफल बोली लगाने वालों को दस दिन के भीतर जमा करनी है.
केंद्र ने कहा कि नीलामी को मिली इतनी जबर्दस्त सफलता से पता चलता है कि एनआईटी का प्रारुप काम करने योग्य और कानूनी तौर पर मजबूत है. हालांकि, रोहतगी के इस कथन का रिलायंस टेलीकाम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम ने विरोध किया और कहा कि प्रतिस्पर्धात्मक बोली वास्तव में प्रतिस्पर्धात्मक नहीं बल्कि हमारे अस्तित्व के लिये बाध्यकारी थी. न्यायालय ने चिदंबरम और एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल जैन के इस कथन का संज्ञान लिया कि नीलामी से सरकार को मिलने वाली राशि गलत है और एनआईटी का पूरा प्रारुप त्रुटिपूर्ण है.
अटार्नी जनरल ने न्यायालय से नीलामी के नतीजों को अंतिम रूप देने की अनुमति मांगी और कहा कि दुनिया हमे देख रही है और हमे नीलामी को अंतिम रूप देने की अनुमति दी जाये. चिदंबरम ने इसका विरोध करते हुये कहा कि टेलीकाम कंपनियों ने एनआईटी के प्रारुप को चुनौती दे रखी है. लेकिन न्यायालय ने कहा कि हम इतनी बडी राशि को अवरुद्ध नहीं कर सकते हैं और 26 फरवरी के आदेश में सुधार की आवश्यकता है.
रोहतगी ने कहा कि स्पेक्ट्रम की नीलामी का मसला पूर्वोत्तर क्षेत्र में उठे विवाद के कारण शीर्ष अदालत में आया है और अब इनमें से एक कंपनी भारती ने 8.8 मेगाहर्टज स्पेक्ट्रम खरीद दिया है. चिदंबरम ने कहा कि केंद्र सरकार को इस समय सफल बोली लगाने वालों की पहचान सार्वजनिक करने की छूट नहीं दी जानी चाहिए जिसे अटार्नी जनरल ने स्वीकार कर लिया.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.