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एक और आलू किसान ने कर ली खुदकुशी
बीरभूम जिले के नानूर थाना क्षेत्र का था निवासी महाजन, बैंक से ले रखा था तीन लाख का कजर् पानागढ़/बर्दवान : राज्य के आलू किसान मुसीबत में हैं. हालात इस कदर खराब है कि अन्नदाता लगातार खुदकुशी कर रहे हैं. कर्ज में डूबे एक और आलू किसान ने जान दे दी है. बर्दवान जिले से […]
बीरभूम जिले के नानूर थाना क्षेत्र का था निवासी
महाजन, बैंक से ले रखा था तीन लाख का कजर्
पानागढ़/बर्दवान : राज्य के आलू किसान मुसीबत में हैं. हालात इस कदर खराब है कि अन्नदाता लगातार खुदकुशी कर रहे हैं. कर्ज में डूबे एक और आलू किसान ने जान दे दी है.
बर्दवान जिले से सटे बीरभूम जिले के नानूर थाने के बासापुर गांव के निवासी आलू किसान मृणाल सरकार उर्फ विवेकानंद सरकार (30) ने रविवार की रात कीटनाशक रसायन पी लिया. अस्पताल में मंगलवार सुबह उसकी मौत हो गयी. परिजनों का कहना है कि आलू की खेती कर्ज लेकर की गयी थी. फसल अच्छी होने के बाद भी उचित मूल्य नहीं मिल रहा था. इस राशि से कर्ज ली गयी राशि की वापसी संभव नहीं थी. इस कारण उसने आत्महत्या कर ली. राज्य में आत्महत्या करनेवाले आलू किसानों की संख्या बढ़ कर 13 हो गयी है.
मृतक के चाचा विश्वजीत सरकार ने पुलिस को बताया कि मृणाल ने इस वर्ष अपनी पांच बीघा जमीन में आलू की खेती की थी. इसके लिए उसने गांव के महाजन तथा सहकारी बैंक से तीन लाख रुपये से अधिक का कर्ज ले रखा था. क ड़ी मेहनत के कारण आलू की फ सल काफी अच्छी हुई थी. लेकिन खेत से आलू निकालने के बाद आलू की सही कीमत नहीं मिल रही थी. सरकार काफी कम मात्र में आलू की खरीदारी कर रही है. उसकी भी कीमत साढ़े पांच रुपये प्रति किलो है.
इस कीमत पर भी किसानों को डेढ़ रूपये प्रति किलो की हानि हो रही थी. इस स्थिति में आलू बेच कर कर्ज चुकाना मुश्किल था. कर्ज चुकाने का दबाव भी लगातार बढ़ रहा था. जिसके कारण हताशा में मृणाल ने आत्महत्या का रास्ता अख्तियार किया. सोमवार की रात उसने अपने घर में ही कीटनाशक रसायन खा लिया. तबीयत बिगड़ने के बाद पहले उसे बोलपुर महकमा अस्पताल तथा बाद में बर्दवान मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भरती किया गया. मंगलवार की सुबह उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया.
लागत राशि बिक्री मूल्य से अधिक
किसानों का कहना है कि आलू की खेती में पिछले तीन वर्षो में खर्च काफी बढ़ गया है. देश में आलू की लॉबी में पश्चिम बंगाल की कोई पक ड़ नहीं है. आलू बीज की कीमत पंजाब लॉबी तय करती है. जबकि फसल के बाद आलू की कीमत उत्तर प्रदेश लॉबी तय करती है. तीन वर्ष पहले 50 किलो आलू बीज की कीमत छह सौ रुपये थी. इस वर्ष इतनी ही मात्र के बीज की कीमत 2200 रुपये थी. यानी चार गुणा बढ़त हुई. तीन वर्ष खाद की कीमत प्रति बोरा चार सौ रुपये थी. इस वर्ष यह कीमत 1200 रुपये प्रति बोरा थी. एक बीघा जमीन पर आलू की फसल उगाने में इस वर्ष किसानों को 20 से 22 हजार रुपये तक खर्च करने पड़े है. जबकि आलू की कीमत खेत में तीन वर्ष पहले तीन सौ रुपये प्रति 50 किलो थी, जबकि इस वर्ष खेत में 50 किलो आलू की कीमत मात्र 170 रुपये है.
आत्महत्या का कारण
देश में आलू उत्पादक राज्यों में दूसरे स्थान पर रहनेवाले पश्चिम बंगाल के आलू उत्पादकों को आलू की सही कीमत नहीं मिल रही है. उन्होंने इसकी खेती के लिए साहूकार, सहयोगी संस्थाओं तथा विभिन्न वित्तीय संस्थाओं से कर्ज लिया है. कर्ज की वापसी नहीं कर पाने के कारण वे आत्महत्या कर रहे हैं. अधिसंख्य हिमघरों में से आलू नहीं निकलने के कारण उनमें काफी कम जगह है. उनमें से भी अधिसंख्य स्थान आलू व्यवसायियों ने बुक कर रखा है. इस कारण वे पर्याप्त आलू हिमघरों में भी नहीं रख पा रहे हैं.
दक्षिण बंगाल में आत्महत्या करने वाले किसान
1. भातार थाने के छातिमडांगा निवासी गुड्डू मुमरू
2. गलसी थाने के मोहनपुर निवासी गणोश सोरेन
3. जमालपुर थाने के जमालपुर निवासी अतुल प्रसाद लेट
4. कालना थाने के शिवरामपुर निवासी विजय हांसदा
5. खंडघोष थाने के खंडघोष निवासी रतन ज्ञानकर
6. नानूर थाने के बासापुर निवासी मृणाल सरकार
7. बांकु ड़ा के जयपुर नतूनग्राम निवासी अरुण धारा
8. आरामबाग राइपुर अंतर्गत माठपाड़ा निवासी तपन जाना
9. खानाकुल थाना अंतर्गत चीड़ा ग्राम निवासी स्वप्न टुडू
पिछले दो वर्ष ठीकठाक बीते थे आलू किसानों के लिए
बीते दो वर्षो में राज्य के किसानों की यही स्थिति थी. लेकिन किसानों को इसकी कीमत अच्छी मिली थी. दो वर्ष पहले पाकिस्तान में आलू की खेती पूरी तरह से बर्बाद हो गयी थी तथा पाकिस्तान ने बड़ी मात्र में आलू का आयात भारत से किया था. इस कारण बाजार में आलू की मांग अधिक रही. हिमघरों से भी आलू निकला तथा राज्य से बाहर भी आलू गया. इस कारण किसानों को अच्छी कीमत मिल गयी. पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश तथा गुजरात में आलू की खेती बेमौसम की बरसात से पूरी तरह से बर्बाद हो गयी थी. इस कारण बंगाल से आलू की मांग अधिक रही. व्यवसायियों ने भी अच्छी कीमत देकर खरीदारी की थी.
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