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एपीपी नियुक्ति में पारदर्शिता रखें, जवाब दें : कोर्ट

मामले की अगली सुनवाई छह अप्रैल को होगीरांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को अतिरिक्त लोक अभियोजकों (एपीपी) की नियुक्ति को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया. खंडपीठ ने मौखिक रूप […]

मामले की अगली सुनवाई छह अप्रैल को होगीरांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को अतिरिक्त लोक अभियोजकों (एपीपी) की नियुक्ति को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया. खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि एपीपी का पद महत्वपूर्ण है. इस नियुक्ति में योग्य युवा अधिवक्ताओं को भी पर्याप्त मौका मिलना चाहिए. खंडपीठ ने कहा कि एपीपी नियुक्ति प्रक्रिया मनोनयन के बजाय साक्षात्कार से होनी चाहिए. इससे पारदर्शिता बनी रहती है. हालांकि यह राज्य सरकार का मामला है. उसकी नजर में जो अच्छा है, उसकी वह नियुक्ति कर सकती है. खंडपीठ ने सुझाव दिया कि नियुक्ति की प्रक्रिया ऐसी हो, जिससे किसी को अपने साथ भेदभाव होने का एहसास तक नहीं हो सके. मामले की अगली सुनवाई के लिए छह अप्रैल की तिथि निर्धारित की गयी. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से खंडपीठ को बताया गया कि एपीपी की नियुक्ति में पारदर्शिता नहीं है. पैरवी-पहुंच के बल पर मनमाने तरीके से नियुक्ति की जाती है. राज्य सरकार की ओर से प्रार्थी की दलील का विरोध करते हुए कहा गया कि वर्ष 2012 से एपीपी की नियुक्ति नहीं की गयी है. उस समय जो नियुक्ति की गयी थी, उसमें कही गड़बड़ी नहीं थी. वर्तमान एपीपी का कार्यकाल 12 अप्रैल को समाप्त हो रहा है. कार्यकाल समाप्त होने के पहले ही नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. 70 पदों के लिए 309 अधिवक्ताओं ने आवेदन दिया है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी यंग लॉयर्स एसोसिएशन की ओर से जनहित याचिका दायर की गयी है.

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