चहारदीवारी के पास कई बसों की पार्किग हो सकती है. लेकिन, बस ड्राइवर उधर जाने तक की हिम्मत नहीं करते. कारण सभी को पता है. उन्हें एसएसपी आवास का खौफ है. सरकारी जमीन होने का अहसास है. गया कॉलेज का खेल परिसर भी तो सरकारी जमीन है. वह कॉलेज की परिसंपति है, फिर उसे लेकर लोगों में खौफ क्यों नहीं है? आखिर उस जमीन पर अवैध कब्जा क्यों है?
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वर्षो से खेल परिसर में हो रही बसों की पार्किग
गया: गया कॉलेज के खेल परिसर में खड़ी दो बसों में आग लगने का खुलासा हो या न हो, एक बात का खुलासा हुआ कि परिसर में करीब 15-16 वर्षो से बसों की अवैध पार्किग हो रही है. इस पर गया कॉलेज प्रबंधन से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक की नजर नहीं है. आग लगने के […]
गया: गया कॉलेज के खेल परिसर में खड़ी दो बसों में आग लगने का खुलासा हो या न हो, एक बात का खुलासा हुआ कि परिसर में करीब 15-16 वर्षो से बसों की अवैध पार्किग हो रही है. इस पर गया कॉलेज प्रबंधन से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक की नजर नहीं है. आग लगने के वक्त घटनास्थल पर मौजूद लोग आपस में चर्चा करते दिखे कि अगर बसों की अवैध पार्किग पर जिला प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं है, तो वह दिन भी दूर नहीं, जब डीएम व एसएसपी आवास के बाहर व अंदर लोग गाड़ियों को पार्क कर देंगे.
.तो एसएसपी आवास के बाहर बसों की पार्किग क्यों नहीं?: एसएसपी आवास के बाहर काफी स्पेस है.
.लेकिन पार्किग की नहीं है व्यवस्था : निजी स्कूलों में बस सर्विस देकर लाखों कमानेवाले बस मालिक पार्किग के नाम पर सरकारी जमीन पर कुंडली मारे हैं. ऐसे बस मालिकों पर किसी का जोर नहीं है. गया कॉलेज खेल परिसर की जमीन को लेकर उनका सोच यही है कि सरकारी जमीन है, जहां मन में आये खड़ी कर दो. बात सिर्फ बस खड़ी करने तक ही सीमित नहीं है. आसपास की लोगों की मानें, तो ये बसें जुआड़ियों व शराबियों के लिए सेफ स्पॉट बन गया है. लोग बताते हैं कि शाम होते-होते खेल परिसर में 12-13 बसों की पार्किग की जाती है. इन्हीं बसों की आड़ में कई गलत काम होते हैं.
चर्चा तो यह भी है कि यहां देह व्यापार के लिए भी सेटिंग होती है. पैट्रोलिंग के नाम पर पहले भी फाइलपूर्ति होती थी, अब भी वही हाल है.
क्या कर सकती है पुलिस : बसों में आग कैसे लगी, शायद ही इसका खुलासा हो. घटना की जांच के लिए थाने में प्राथमिकी के साथ-साथ किसी व्यक्ति पर आशंका जताने पर ही पुलिस छानबीन करेगी. बस मालिकों द्वारा थाने में सिर्फ शिकायत की जायेगी. आग कैसे लगी, किसने लगायी, उन्हें जानकारी नहीं है. ऐसे में पुलिस इस मामले को सिर्फ स्टेशन डायरी व सनहा दर्ज कर रफा-दफा कर सकती है. अगर इस मामले में अज्ञात व्यक्ति पर शंका जाहिर करते हुए वाहन मालिकों द्वारा प्राथमिकी की जायेगी, तो पुलिस इस मामले के उद्भेदन के लिए इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर को जिम्मेवारी देगी.
कॉलेज प्रबंधन से नहीं मिली अवैध पार्किग की शिकायत : रामपुर इंस्पेक्टर गौरीशंकर गुप्ता ने बताया कि खेल परिसर में बसों की पार्किग करने के मामले की जांच की जायेगी. इस मामले में कॉलेज प्रबंधन से भी बात की जायेगी. कभी कॉलेज प्रबंधन से अवैध पार्किग की शिकायत नहीं मिली.
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