कवि गोष्ठी में एक से बढ़कर एक कवियों एवं शायरों ने अपनी कविताओं, गजलों एवं शेरों शायरी से नगर भवन में उपस्थित दर्शकों की मंत्रमुग्छ कर दिया. डॉ रिजवान सिद्दकी की मैथिली में रचित कविता में मैथिली, हिंदी एवं अंग्रेजी शब्दों का गजब का मिश्रण था. उनकी कविता के बोल थे ‘भोला बाबु यौ… कौना घटते हमर वेट’ पर दर्शकों ने खूब तालिया बजायी. हिंदी एवं मैथिली के साहित्यकार व सिद्धहस्त मंच संचालक राम सेवक ठाकुर की शीर्षक कविता भ्रूण हत्या में कहा कि ‘मांगल जे छिया छइत, सीता स्वरूपा, त कोइखे में माहुरर खिलौल किएक जाइछे’. खजाैली के रवींद्र कुमार ने बिहार गीत शीर्षक में गौतम बुद्ध के ज्ञान धान की जननी यही बिहार है पेश किया.
कवि रामेश्वर पांडेय निशांत ने राग दैति रहबै, उपराग दैति रहबे.. ई जिंदगी एहना हिसाब दैति रहबे को बड़े ही मार्मिक ढंग से लय बद्ध कर के गाया. कवि सम्मेलन में डॉ रानी झा, गोपाल झा अभिषेक प्रवीण ठाकुर, विक्रम शीला देवी, लक्ष्मण भाई, शीला देवी, पंकज सत्यम, चंद्रपति नारायण, अरविंद प्रसाद, जहीर मकमली, प्रजापति ठाकुर, दिलीप कुमार झा, प्रो इश्तयाक अहमद, प्रो प्रीतम कुमार निषाद, सहित दर्जनों कवियों ने अपने काव्य पाठ से दर्शकों का मन मोह लिया. इस अवसर पर बिहार दिवस के नोडल पदाधिकारी सत्य प्रकाश, एपीओ वीणा कुमारी चौधरी, इंद्र भूषण बमबम सहित सैकड़ों दर्शक उपस्थित थे. फुलपरास प्रतिनिधि के अनुसार : अनुमंडल मुख्यालय में बिहार दिवस को लेकर रविवार को कस्तूरबा गांधी विद्यालयों के छात्रओं के द्वारा प्रभात फेरी निकाल कर बिहार दिवस धूम धाम से मनाया गया. इस अवसर पर विद्यालयों में छात्रों और शिक्षकों के द्वारा बिहार दिवस मनाया गया. किसी किसी विद्यालयों में छात्रों के बीच प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया.
सभी विद्यालयों पर दीप प्रज्वलित किया जायेगा. कन्या प्राथमिक विद्यालय सुगापट्टी में प्रधानाध्यापिका कुमारी दर्पणा के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन किया गया. मध्य विद्यालय फुलपरास में प्रधानाध्यापक राम कृष्ण यादव के द्वारा छात्रों के साथ बिहार दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस तरह से सरकारी एवं गैर सरकारी विद्यालयों पर भी बिहार दिवस धूम धाम से मनाया गया.