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भारत में प्रदूषण की भयावह स्थिति

दुनिया के 20 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में अकेले भारत के 13 शहर शामिल हैं. इन शहरों की आबोहवा काफी पहले ही जहरीली हो चुकी है. वायु प्रदूषण यहां होनेवाली मौत का सबसे बड़ा पांचवां कारक है. इसके बावजूद सरकार का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है. इतना ही नहीं, देश की कोई भी राजनीतिक […]

दुनिया के 20 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में अकेले भारत के 13 शहर शामिल हैं. इन शहरों की आबोहवा काफी पहले ही जहरीली हो चुकी है. वायु प्रदूषण यहां होनेवाली मौत का सबसे बड़ा पांचवां कारक है. इसके बावजूद सरकार का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है.
इतना ही नहीं, देश की कोई भी राजनीतिक पार्टी अपने घोषणा पत्रों में पर्यावरण प्रदूषण को प्रमुखता से स्थान नहीं देती. अलबत्ता, राजनेता सार्वजनिक मंच से पर्यावरण प्रदूषण के नाम पर लंबा-चौड़ा भाषण जरूर दे देते हैं. प्रदूषण को लेकर सरकार का मौन रहना भी चिंता का सबसे बड़ा कारण है.
जब अदालत का डंडा चलता है, तभी सरकारों की भी नींद खुलती है. उसके पहले वह कभी भी युद्ध स्तर पर इसके खिलाफ अभियान चलाने की बात नहीं करती. हां, इतना जरूर किया जाता है कि हिंदी के विकास के नाम पर सरकारी दफ्तरों में हिंदी पखवाड़ा चलाने की तर्ज पर पर्यावरण दिवस के अवसर पर सरकारी कार्यालयों में खानापूर्ति जरूर कर दी जाती है.
सरकार को सिर्फ महत्वपूर्ण दिवसों पर खानापूर्ति करने भर से काम नहीं चलेगा. इसके लिए उसे कठोर और कारगर कदम उठाने होंगे. अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा जब से दिल्ली आये हैं, तभी से दुनिया भर में प्रदूषण के मामलों में भारत की किरकिरी हो रही है.
देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ रहे वायु प्रदूषण न सिर्फ वहां के लोगों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है, बल्कि उसने दुनिया की नजर को अपनी ओर आकर्षित कर लिया है. यहां के प्रदूषण ने बीजिंग को भी पीछे छोड़ दिया है. विशेषज्ञ कहते हैं कि दिल्ली के वातावरण में एक दिन रहना आठ सिगरेट पीने के बराबर है, जो बहुत ही चिंता विषय है. सरकार इस पर ध्यान दे.
पूनम गुप्ता, ई-मेल से

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