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आप को किसने उघार किया?

चंचल सामाजिक कार्यकर्ता भारत दुनिया का अकेला मुल्क है, जिसने अपनी अवाम के लिए खाद्यान्न सुरक्षा का कानून बना कर एक नायाब निजाम दिया. जमीन पर किसान के हक के समर्थन में कानून बनाया. आज यह सब मिटाया जा रहा है. कांग्रेस काहे गयी? बड़ी लंबी चर्चा भई इस बात को लेकर. जो जानकार रहे, […]

चंचल
सामाजिक कार्यकर्ता
भारत दुनिया का अकेला मुल्क है, जिसने अपनी अवाम के लिए खाद्यान्न सुरक्षा का कानून बना कर एक नायाब निजाम दिया. जमीन पर किसान के हक के समर्थन में कानून बनाया. आज यह सब मिटाया जा रहा है.
कांग्रेस काहे गयी? बड़ी लंबी चर्चा भई इस बात को लेकर. जो जानकार रहे, उन्होंने पूरा ज्ञान बघार दिया. दूसरे वे भी रहे जो जानकार नहीं रहे, पर ‘कांग्रेस क्यों गयी’ पर जानकार हो गये, उन्होंने भी कारण गिना दिये. गरज यह कि दोषी बनाये गये राहुल गांधी.
कम्बख्त हम ठेठ गांव वालन से भी तो पूछे होते कांग्रेस काहे गयी? तब हम बताते.. हटाये हम और हम से पूछा ही नहीं गया? मत पूछो! लेकिन कांग्रेस फिर आ रही है और हम ला रहे हैं, कैसे ला रहे हैं, हम बता रहे हैं, सुनने का मन हो तो सुनो, न सुनना हो तो मत सुनो, पर हम बतायेंगे जरूर.. कहते हुए लाल्साहेब ने विराम दिया और अपना मुंह जस-का-तस खुला रखा कि कोइ तो उकसाये कि कैसे? लेकिन सब ठहरे घाघ, काहे पूछते कि कांग्रेस कैसे आ रही है.
कयूम मियां ने जरूर उस खुले मुंह पर एक नजर डाली, पर मुस्कुरा कर रह गये. सन्नाटा.. चिखुरी ने चुप्पी तोड़ी- तो अब यह भी बोल ही दो, नहीं तो पेट फूल कर पटाखा हो जायेगा. लाल्साहेब शुरू करते इसके पहले ही लखन कहार ने चुटकी ली- ई ना बतायेंगे तो कौन बतायेगा. कीन उपाधिया के साथ मिल के गांव-गांव ई घूमे, रात-रात भर मोदी-मोदी ई किये, पानी पी-पी कांग्रेस के ई गरियाये, तो अब यही बतायेंगे कि कांग्रेस कैसे आ रही है. लाल्साहेब उखड़ गये- हम अकेले रहे का?
झांसे में हम सब फंसे रहे. उमर दरजी बोले- जे झांसा का होता है? झांसा? सवाल टेढ़ा हो गया. अब झांसा को क्या कह कर बताया जाये. सो लाल्साहेब ने उदाहरण का सहारा लिया. उन्होंने कहा कि देश में काला धन भी होता है, जो विदेश में जमा है उसे हम वापस लायेंगे और जनता के खाते में डाल देंगे. मन मगन हो गया. बाद में बोले यह तो जुमला था. भिंडी, दाल, चावल सब की कीमत नीचे गिरायेंगे. जब जनता ने पूछा कि दाम गिराओ, तो बोले अब दर्जन भर बच्चे पैदा करो.
और जमीन! सरकार बोल रही है कि जमीन सरकार लेगी. सरकार रेट तय करेगी. किसान कुछो नहीं कर सकेगा. नवल के इस सवाल पर कीन उपाधिया भड़क गये- बिकास के लिए कुछ तो त्याग करना ही पड़ेगा. सरकार अपनी पीठ पे बिकास थोड़े ही करेगी? मद्दू पत्रकार ने घुड़की दी- बकवास करते हो. जितना है पहले उसे तो सुधार लो. असल घपला दूसरा है. किसान से औने-पौने दाम पे जमीन लो और बड़े पूंजीपतियों को स्कूल, हस्पताल, कारखाने के नाम पर उन्हें जमीन दो. यह है जाल बट्टा.
कीन उपाधिया ने बात को लोक लिया- कल का अखबार देखो. अपने देश में एक भी विश्वविद्यालय नहीं है, जो उनके मुकाबले में खड़े हो सके. लेकिन अब हम यह सब ठीक करेंगे..
कीन अभी चालू ही थे, लेकिन चिखुरी ने घुड़की दी- उल्लू के पट्ठों! एक बात बताओ, यह मानक कौन बनाता है और कौन तय करता है? देखो, यह लंबा खेल है.. पहले जनता का मिजाज बदलो. यह ठीक नहीं है वह ठीक नहीं है, उसके प्रचार में मीडिया को लगाओ.
उसे खरीदो, उसे बुलवाओ. देशी-विदेशी निवेशक को बुलाओ. कॉरपोरेट घरानों को उकसाओ कि वे आयें, जो आने के लिए आतुर हैं. उनके आने की वजह भी सुन लो. सस्ती मजदूरी, सस्ती जमीन, सस्ता कच्चा माल यहां प्रचुर मात्र में है. तुम क्या समझ रहे हो कि वो तुम्हें शिक्षा देने आ रहे हैं? उन्हें तुम्हारे स्वास्थ्य की चिंता है?
उनका केवल एक ही मकसद है लूट. कम लागत पर लूटो. और यह सरकार उनके लिए एक एजेंट की तरह है.लेकिन हमारी सिक्षा का स्तर तो बढ़ेगा और स्वास्थ्य सेवाएं तो बेहतर होंगी? यह कीन का दूसरा सवाल रहा. चिखुरी मुस्कुराये-तुम्हें मालूम है कि दुनिया में सबसे सस्ती शिक्षा हमारे यहां रही. और अगर हमारे संस्थान इतने नालायक रहे, तो हमारे डाक्टर, इंजीनियर, समाज शास्त्री, प्रबंधक आज सारी दुनिया में छाये हुए क्यों हैं?
लेकिन अब यह सरकार यह प्रचार कर रही है कि हम नालायक शिक्षा पा रहे थे. बापू ने केवल गरीबी को ही मिटाने की कोशिश नहीं की, बल्कि समाज में फैले गैरबराबरी के खिलाफ भी लादने का मुहाना खोला. कांग्रेस ने उसे आगे बढ़ाया, तमाम सारे अधिकार दिये. वोट देने का अधिकार, आरटीआइ. भारत दुनिया का अकेला मुल्क है, जिसने अपनी अवाम के लिए खाद्यान्न सुरक्षा का कानून बना कर एक नायाब निजाम दिया. जमीन पर किसान के हक के समर्थन में कानून बनाया. आज यह सब मिटाया जा रहा है. बच्चू! अब कांग्रेस तो आकर रहेगी और उसे जनता ही ले आयेगी.
तो अब हम का करें? उमर ने सवाल किया. नवल ने जवाब दिया कि सुथाना फाड़ो, काटो और उसकी चड्ढी बनाओ. एक ठहाका उठा और आसरे की चाय पर चिपक गया. चिखुरी को छोड़ कर सब ने चाय ली. चिखुरी के लिए कुल्हड़ का इंतजाम हुआ और चौराहे की संसद कल तक के लिए स्थगित हो गयी. नवल गाते हुए आगे बढ़ गये- येही ठइयां झुलनी हेरानी हो रामा, कहवां मैं ढूं ढूं/ सासू से पुछलीं, ननदिया से..

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