सिडनी : बांग्लादेश के खिलाफ क्रिकेट विश्व कप के क्वार्टर फाइनल में जीत के साथ कप्तान के रुप में भारत की जीत का शतक पूरा करने वाले महेंद्र सिंह धौनी ने कहा कि इतने वर्षों में उन्हें काफी उतार चढाव देखे. एकदिवसीय कप्तान के रुप में पिछले आठ साल की यात्रा के बारे में पूछने पर धोनी ने कहा, ‘‘मैंने उतार चढाव देखे. जीवन गोले की तरह है. आप वहीं पहुंच जाते हो जहां से शुरुआत करते हो. उसी स्थान पर पहुंचने के बाद आप उन चीजों का और अधिक सम्मान करने लग जाते हो जिनका शायद पहले सम्मान नहीं किया.’’
धौनी ने कहा कि भारतीय कप्तानी ने उन्हें सिखाया कि किसी चीज का मलाल करने की जरुरत नहीं है और जो संसाधन उपलब्ध हैं उन्हीं से सामंजस्य बैठाना होगा.भारतीय कप्तान ने कहा, ‘‘बीच में हमें काफी संघर्ष करना पडा. हमारे पास डेथ ओवरों के अच्छे गेंदबाज नहीं थे. हमारे पास अच्छे तेज गेंदबाज नहीं थे. हमारे पास तेज गति से फेंकने वाले कुछ गेंदबाज थे तो वह सही क्षेत्रों में गेंद नहीं फेंकते थे और जो सही क्षेत्र में गेंदबाजी करते थे उनके पास गति नहीं थी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘पिछले पांच साल से आलराउंडर की खोज जारी है और हमें अब भी उसकी तलाश है. इसलिए मैंने फैसला किया कि जो चीज मेरे पास नहीं है मैं उसका मलाल नही रखूंगा और मेरे पास जो कुछ भी है उससे काम चलाउंगा.’’ भारतीय टीम के लिए सबसे मुश्किल समय वेस्टइंडीज में 2007 विश्व कप में आया जब टीम पहले दौर से ही बाहर हो गई.
धौनी ने कहा, ‘‘2007 विश्व कप जैसा बुरा दौर भी आया जब हम पहले दौर में हार गए. मैं उस समय कप्तान नहीं था लेकिन यह निराशाजनक था. एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के बारे में सबसे अच्छी चीज यह है कि आपको उबरने का मौका मिलता है. उदारण के लिए अगर आप द्विपक्षीय श्रृंखला खेलते हो और तीन मैच जीतते हो और दो हार जाते हो तो ग्राफ में उतार चढाव नजर आएगा.’’
विश्व कप का सफल बचाव करने के लिए भारत को दौ और मैच जीते हैं और धोनी ने कहा कि सबसे बडी चुनौती अच्छा क्रिकेट खेलना है. उन्होंने कहा, ‘‘चुनौती अच्छा क्रिकेट खेलना है क्योंकि इससे हमें 29 मार्च को एमसीजी वापस आने में मदद मिलेगी. अगला मैच सिडनी में होगा और वहां अलग चुनौतियां होंगी और अगले चरण में क्वालीफाई करने के लिए हमें वहां अच्छा प्रदर्शन करना होगा.’’