नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि 2006 से 2010 के बीच कोयला ब्लाक आबंटन में नुकसान को 1.86 लाख करोड रुपये आंक कर कैग ने एक तरह से ‘बडी कृपा’ की. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार द्वारा की गयी नीलामी से काफी अधिक राजस्व प्राप्त हुआ. आम बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए जेटली ने राज्यसभा में कहा कि राजग सरकार ने वह काम कर दिया जो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपने कार्यकाल में नहीं कर सके जबकि कोयला ब्लाक आबंटन में वे मनमाने तरीके अपनाये जाने से खुद परेशान थे.
उन्होंने कहा कि खुद सिंह ने सत्ता संभालने के दो महीने के अंदर बयान दिया था कि कोयला ब्लाक का आबंटन नीलामी से होना चाहिए. गौरतलब है कि कोयला ब्लाक आबंटन में घोटाले की बात सामने आने के बाद उच्चतम न्यायालय ने 204 कोयला ब्लाक का आबंटन रद्द कर दिया. वित्त मंत्री जेटली ने प्राकृतिक संसाधनों आबंटन की नयी व्यवस्था के बारे में मोदी सरकार के फैसलों का औचित्य बताते हुए कहा कि प्रयास यह है कि मनमर्जी से निजात मिले और पूरे नियम-कानून सीधे हों.
उन्होंने कहा कि शुरू के 33 कोयला ब्लाक की नीलामी से सरकार को 2.13 लाख करोड रुपये की आमदनी सुनिश्चित हो सकी है. यह आंकडा पूर्व कैग (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) विनोद राय के 1.86 लाख करोड रुपये के नुकसान के आकलन को पार कर गया है. पूर्व कैग ने 2014 ब्लाक के आबंटन में नुकसान का यह आंकडा दिया था. जेटली ने कहा, ‘पिछली सरकार में कोई ऐसा भी था जिसने यह बताने का प्रयास किया था कि ये कोयला ब्लाक और अन्य संसाधन ‘शून्य’ के बराबर थे.
अब यह लगता है कि कैग ने नुकसान का आकलन कर बडी कृपा की और आज जो भी रुपया मिल रहा है वह राज्यों को जाएगा.’ उन्होंने विपक्ष को कोयला और खनिज विधेयक की राह में रुकावट नहीं डालने की अपील करते हुए कहा कि नीलामी की इस सफलता से कम-से-कम आपको और पूरे देश को यकीन होगा कि यह नीति देश के लिये अच्छी है. उन्होंने कहा, ‘व्यवधान थोडे समय तक चलने वाली चाल हो सकती है लेकिन इसे स्थायी तरीका नहीं बनाया जा सकता.’
वित्त मंत्री ने कहा कि इसी प्रकार स्पेक्ट्रम की नीलामी में भी सरकारी खजाने को एक लाख करोड रुपये से अधिक प्राप्त हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि इसी तरह आपने खानों एवं खनिजों के बारे में नीलामी या पहले आओ पहले पाओ संबंधी जो कानून बनाया था, वह उच्चतम न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध था. यदि हम उस पर अमल करते हैं तो संभवत: हमें भी कोई अदालत समन दे सकती है. गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ओडिशा में हिंडाल्को के लिये एक कोयला ब्लाक के आबंटन के मामले में विशेष अदालत से समन जारी हो चुका है.