नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कथित तौर पर जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करने पर आम आदमी पार्टी का पंजीकरण रद्द करने की मांग वाली याचिका आज खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि ‘‘राजनीतिक दल एक क्लब की तरह होता है’’ और इस संबंध में कानून स्पष्ट है कि अदालतें उसके ‘‘अंदरुनी प्रबंधन’’ (इंडोर मैनेजमेंट) में हस्तक्षेप नहीं करेंगी.
मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति आर एस एंडलॉ की पीठ ने कहा, ‘‘ हमें इस याचिका में कोई दम नहीं लगा और बल्कि हमने पाया कि इसे पूरी तरह से गलत समझा गया है. इस मामले को खारिज किया जाता है.’’ मामले को खारिज करते हुए अदालत ने याची पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया जो उसे आज से तीन महीने के भीतर दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराना होगा.
पीठ ने कहा, ‘‘एक राजनीतिक दल क्लब की तरह होता है और इस संबंध में कानून स्पष्ट है कि अदालतें उसके अंदरुनी प्रबंधन में हस्तक्षेप नहीं करेगी.’’ अदालत का यह फैसला हंसराज जैन की याचिका पर आया है, जिन्होंने पार्टी का पंजीकरण रद्द करने की मांग यह आरोप लगाते हुए की थी कि ‘‘‘आप’ का पंजीकरण जल्दबाजी में (निर्वाचन आयोग द्वारा) बिना पर्याप्त जांच के, झूठे और जाली दस्तावेजों के आधार पर हुआ.’’
जैन ने दावा किया था कि ‘आप’ के कुछ सदस्यों ने अपने शपथपत्रों में जो आवासीय पते दिए थे, उनका मिलान जब उनके मतदाता पहचान पत्र या आयकर रिटर्न से किया गया तो उनमें अंतर था.