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बॉलीवुड के दिग्गज मिले राज्यवर्धन राठौर से, पहलाज निहलानी की हो सकती है छुट्टी
बॉलीवुड के शीर्ष फिल्म निर्माता और कई जाने माने सितारे सोमवार को सेंसेर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी को लेकर सूचना एवं प्रसारण मंत्री राजयवर्धनसिंह राठौर से मिले. इस मीटिंग में मुकेश भट्ट, अनुराग कश्यप, एकता कपूर, करण जौहर ,रितेश सिदवानी, विद्या बालन, दीपिका पादुकोण,रमेश सिप्पी,शबाना आजमी, गुलजार और आमिर खान शमिल थे. दरअसल पूरा […]
बॉलीवुड के शीर्ष फिल्म निर्माता और कई जाने माने सितारे सोमवार को सेंसेर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी को लेकर सूचना एवं प्रसारण मंत्री राजयवर्धनसिंह राठौर से मिले. इस मीटिंग में मुकेश भट्ट, अनुराग कश्यप, एकता कपूर, करण जौहर ,रितेश सिदवानी, विद्या बालन, दीपिका पादुकोण,रमेश सिप्पी,शबाना आजमी, गुलजार और आमिर खान शमिल थे.
दरअसल पूरा बॉलीवुड पहलाज निहलानी पर ‘प्रतिकूल माहौल’बनाने को आरोप लगा रहा है. पूर्व चेयरमैन लीला सैमसन के इस्तीफे के बाद सरकार ने सेंसेर बोर्ड की नयी टीम गठित की थी. इस टीम का अध्यक्ष पहलाज निहलानी को बनाया गया था. अध्यक्ष बनते ही बॉलीवुड में खलबली मच गयी. निहलानी ने अपशब्दों और गालियों को फिल्मों से हटाने की लिस्ट जारी कर दी.
इससे ना सिर्फ बॉलीवुड के सदस्य खफाहो गए बल्कि फिल्म इंडस्ट्री के बड़े-बड़े कलाकारों ने भी उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने निहलानी पर मनमानी करने का आरोप लगाया है. हालांकि पिछले कई सालों से बॉलीवुड के दिग्गज सदस्य फिल्मों में सर्टिफिकेट के स्थान पर रेटिंग सिस्टम की मांग कर रहे हैं जैसा विदेशों में होता है. जिसके तहत 12 साल,14 साल और 18 साल तक के बच्चों के फिल्म देखने या ना देखने पर नियम बनाए जाएंगे.
मुलाकात में राज्यवर्धन सिंह राठौर ने कहा कि सेंसेरबोर्ड की भूमिका फिल्म इंडस्ट्री को उचित रेटिंग देने की ही रहेगी ना कि सेंसेर करने की.उन्होंने फिल्म निर्माताओं को संकेत भी दिया कि लगातार आलोचना झेल रहे पहलाज निहलानी को अघ्यक्ष पद से हटाया जा सकता है. राठौर ने कहा कि ‘मैंने निहलानी को फिल्म इंडस्ट्री को हाइजैक ना करने की चेतावनी दी है’. उन्होंनेकहा किअगर आपको कुछ सीन फिल्मों में आवश्यक लगता है तो आप उसमें जरूर रखें.
वहीं गीतकार गुलजार नेइस मामले में अपनी बात रखते हुए कहा कि मंत्रालय द्वारा सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष चुने जाने के बजाय फिल्म इंडस्ट्री के लोग ही अध्यक्ष चुनने का अधिकार होना चाहिए. राठौर ने निहलानी द्वारा जारी 28 प्रतिबंधित शब्दों की लिस्ट पर फिर से विचार करने के बारे में कहा.
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