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सड़क पर शौच, जोखिम में जिंदगी

सासाराम (ग्रामीण) : अगर घर में शौचालय होती तो अगरेर प्रखंड के मोकर गांव की दो महिलाओं की जान नहीं जाती. शौचालय नहीं होने कारण एक ही परिवार की तीन महिलाओं व एक युवती को सड़क किनारे शौच करने के लिए जाना पड़ा और वे लोग एक बस की चपेट में आ गयीं. इसमें दो […]

सासाराम (ग्रामीण) : अगर घर में शौचालय होती तो अगरेर प्रखंड के मोकर गांव की दो महिलाओं की जान नहीं जाती. शौचालय नहीं होने कारण एक ही परिवार की तीन महिलाओं व एक युवती को सड़क किनारे शौच करने के लिए जाना पड़ा और वे लोग एक बस की चपेट में आ गयीं.
इसमें दो महिलाओं की मौत हो गयी, जबकि एक किशोरी व महिला घायल हो गयीं. सबको पता है कि सड़कों के किनारे शौच करना जोखिम से भरा है. इस दौरान तेज गति से दौड़ते वाहन कभी भी जान ले ले सकते हैं. फिर भी ऐसे लोगों की कमी नहीं, जो आये दिन सड़क को ही शौच के साधन के रूप में उपयोग करते हैं.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की तरफ से स्वच्छता अभियान व मनरेगा के तहत गांव-कस्बों में शौचालय बनवाया जा रहा है. इसके लिए जरूरतमंद लोगों का चयन कर सरकार की तरफ से पैसे भी दिये जा रहे हैं. शौचालय के लिए जागरूकता रथ भी निकाले जा रहे हैं. टीवी पर विज्ञापन आ रहे हैं. बैनर व पोस्टर लगाये जा रहे हैं. लोगों को लेकिन मोकर की घटना को देख कर ऐसा लगता है कि शौचालय बनाने का काम सिर्फ फाइलों में ही चल रहा है. योजना जिले में धरातल पर नहीं उतारती दिख रही है.
मृतकों को मिला मुआवजा: मृत महिलाओं के परिजन को कबीर अंत्येष्टि योजना के तहत तीन-तीन हजार रुपये व मुख्यमंत्री पारिवारिक लाभ योजना के तहत 20-20 हजार रुपये का मुआवजा दिया गया.
घटना के लिए जिम्मेवार कौन ? : रही बात इस घटना की जिम्मेदारी की, तो मृतक व जख्मी समेत वाहन चालक दोषी हैं. महिलाओं को शौच करने के लिए सड़क के किनारे नहीं जाना चाहिए था. उन्हें खतों में जाना चाहिए था. हालांकि, प्रशासन ने गांव के दोनों तरफ गति सीमा के बोर्ड लगा दिये हैं, लेकिन वाहन चालक गति सीमा का ध्यान नहीं रखते हैं. गांववालों का कहना है कि चालकों को भी चाहिए कि वे आबादी वाले क्षेत्रों से सावधानीपूर्वक वाहन ले जायें, अन्यथा ‘सावधनी हटी, दुर्घटना घटी’ जैसी उक्ति चरितार्थ होगी ही.
बीडीओ को जानकारी नहीं: बीडीओ विजय कुमार मिश्र ने बताया कि प्रखंड में स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय बनाने के लक्ष्य के बारे मे मुङो जानकारी नहीं है. मैट्रिक परीक्षा की ड्यूटी लगी है. कार्यालय में लौटने के बाद फाइल देख कर शौचालय के आंकड़े दिये जा सकते हैं.

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