यरुशलम :इस्राइल में हुए आम चुनाव के बाद जारी मतगणना के अनुसार आज प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू लगभग जीत चुके हैं. 99.5 फीसदी पूरी हो चुकी मतगणना के बाद नेतन्याहू अपने चीर प्रतिद्वंद्वी जिओनिस्ट यूनियन नेता इजाक हजरेग से जीत चुके हैं. इसके साथ ही इस्राइल की सत्ता पर नेतन्याहू चौथी बार काबीज होने वाले पहले नेता बन चुके हैं.
इस्राइली मीडिया ने 99.5 प्रतिशत मतों की गिनती पूरी होने के साथ ही कहा कि लिकुड पार्टी को संसद, नेसेट की 120 सीटों में से 30 सीटें मिली हैं, जबकि इसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी मध्य-वाम जिओनिस्ट यूनियन एलायंस ने 24 सीटें हासिल की हैं. नेतन्याहू को सत्तारुढ गठबंधन के गठन के लिए अब भी छोटे दलों के समर्थन की आवश्यकता है, लेकिन कल हुए मतदान के बाद संसद में समर्थन मतों का बहुमत हासिल करने के लिए सर्वश्रेठ स्थिति में प्रतीत होते हैं.
यह चौंकाने वाला परिणाम है क्योंकि गत शुक्रवार को आए चुनाव पूर्व सर्वेक्षण में आइजक हेरजोंग के नेतृत्व वाली जिओनिस्ट यूनियन को चार या पांच सीटों की बढत दिखाई गई थी. नौ साल तीन महीने से अधिक समय से सत्ता में रहे 65 वर्षीय नेतन्याहू ने चुनावों में जीत का भरोसा व्यत किया था. यदि वह चौथी बार सफल रहते हैं तो वह इस्राइल के सबसे लंबे कार्यकाल वाले प्रधानमंत्री बन जाएंगे. नेतन्याहू ने चुनाव प्रचार के अंतिम समय में कडा रुख अख्तियार कर लिया था और कहा था कि जब तक वह सत्ता में रहेंगे तब तक कोई फलस्तीन देश स्थापित नहीं होगा. इस दौरान उन्होंने अरब नागरिकों का अपमान किया था.
नेतन्याहू की जीत से फलस्तीनियों के साथ इस्राइल के संबंध और तनावपूर्ण होने की आशंका है. कल चुनाव संपन्न होने के बाद नेतन्याहू ने कहा था कि नई सरकार बनाने के लिए वह पहले ही अन्य मध्य दक्षिण दलों से बात कर चुके हैं. तेल अवीव में जोश से भरे अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए नेतन्याहू ने मतदान को लिकुड पार्टी के लिए ‘‘बडी विजय’’ के रुप में करार दिया जो चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में जिओनिस्ट यूनियन से पीछे चल रही थी.
उन्होंने नेताओं से बिना विलंब के सरकार के गठन का आह्वान किया. रिपोर्ट के अनुसार नेतन्याहू उन वैचारिक मतभेदों से मुक्त राष्ट्रवादी और धार्मिक दलों का एक छोटा गठबंधन बना सकते हैं जिनसे उनकी पिछली सरकार के लिए मुश्किलें हुईं थी. जब अंतिम परिणाम आ जाएंगे तब राष्ट्रपति रेउवेन रिवलिन उस दल के नेता को सरकार के गठन का दायित्व सौंपेंगे जिनके बारे में उन्हें लगता है कि उनके पास गठबंधन के गठन का सबसे मजबूत अवसर है. इस्राइल की आनुपातिक मतदान प्रणाली में अब तक कोई भी दल स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं कर पाया है.