अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय में भारतीय उप महाद्वीप तथा बिहार के इतिहास, कला और संस्कृति की स्मृति के भौतिक अवशेषों का संग्रह होगा. साथ ही राज्य के विभिन्न जगहों से मिली प्राचीन मूर्तियां व शिलालेख को सुव्यवस्थित तरीके से रखा जायेगा. राज्य की गौरवशाली और गरिमामयी विरासत, संस्कृति तथा सभ्यता को संग्रहालय के माध्यम से प्रदर्शित किये जाने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और राज्य के विकास को गति मिलेगी.
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वर्ल्ड क्लास का होगा पटना का अंतरराष्ट्रीय म्यूजियम
पटना: दुनिया के सात अंतरराष्ट्रीय संग्रहालयों में एक होगा पटना का निर्माणाधीन अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय. लंदन की टेट ब्रिटेन मिल बैंक म्यूजियम, सिडनी का गैलरी ऑफ न्यू साउथ वेल्स, कनाडा का कनाडियम म्यूजियम फार ह्यूमन राइटस, फ्रांस का लयूबर लेंस, पस-डे- कलाइस और अबूधाबी के द जायद नेशनल म्यूजियम के तर्ज पर बेली रोड के किनारे […]
पटना: दुनिया के सात अंतरराष्ट्रीय संग्रहालयों में एक होगा पटना का निर्माणाधीन अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय. लंदन की टेट ब्रिटेन मिल बैंक म्यूजियम, सिडनी का गैलरी ऑफ न्यू साउथ वेल्स, कनाडा का कनाडियम म्यूजियम फार ह्यूमन राइटस, फ्रांस का लयूबर लेंस, पस-डे- कलाइस और अबूधाबी के द जायद नेशनल म्यूजियम के तर्ज पर बेली रोड के किनारे बनने वाले विश्व स्तरीय संग्रहालय न सिर्फ पटना की पहचान होगी बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आकर्षण का केंद्र होगा.
ओड़िसा व महाराष्ट्र की सरकार कर रही अध्ययन
पटना के अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय का निर्माण दूसरे देशों में बने संग्रहालय से कम दर पर किया जा रहा है. इतना ही नहीं ओड़िसा और महाराष्ट्र की सरकार ने बिहार सरकार से इस संग्रहालय के निर्माण की प्रक्रिया मांगी है और इसका अध्ययन किया जा रहा है. राज्य सरकार ने वर्तमान पटना संग्रहालय के विस्तार के नहीं के बराबर की संभावना को देखते हुए 2009 में राजधानी में ही एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का संग्रहालय के निर्माण का प्रस्ताव रखा. 26 नवंबर,2009 की कैबिनेट में इसे मंजूरी दी गयी. इसके बाद 19 जनवरी, 2010 को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सभी विभागीय पदाधिकारियों की बैठक हुई जिसमें संग्रहालय के निर्माण के लिए मुख्य योजना परामर्शी के चयन का निर्णय लिया गया. साथ ही म्यूजियम आर्किटेक्ट के चयन के लिए भवन निर्माण विभाग को जिम्मेवारी सौंपी गयी. कला एवं संस्कृति विभाग की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय का निर्माण दूसरे देशों में हो रहे निर्माण से कम लागत पर हो रहा है.
ऐसे खर्च होगा 498 करोड़
बिहार संग्रहालय के निर्माण की अनुमानित राशि के लिए पहली बार कैबिनेट से आठ मई,2012 को मंजूरी मिली. इसके तहत संग्रहालय निर्माण की परियोजना की लागत चार सौ करोड़ तय की गयी. राशि में दो सौ करोड़ भवन निर्माण के लिए था. राशि में परामर्शी शुल्क शामिल है जबकि डेढ़ सौ करोड़ रुपये प्रदर्शनी के की डिजाइन और पचास करोड़ कर्मचारियों की नियुक्ति एवं अन्य चीजों पर खर्च किये जाने हैं. इसके बाद भवन निर्माण ने वास्तविक खर्च के आधार पर प्राक्कलन तैयार किया जिसमें भवन निर्माण पर खर्च 298 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया. इस आधार पर संग्रहालय निर्माण पर कुल खर्च 498 करोड़ रुपये की कैबिनेट स्वीकृति 16 मई,2013 को दी गयी.
लॉर्ड कल्चरल र्सिाेसेज,टोरंटो है कंसलटेंट
संग्रहालय के निर्माण के लिए पारदर्शी तरीके से टोरंटो -मुंबई की लार्ड कल्चरल र्सिाेसेज कंपनी को कंसलटेंट नियुक्त किया गया. इसके लिए मुख्य योजना परामर्शी की सलाह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक्सप्रेसन ऑफ इंटरेस्ट कम रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल प्रकाशित किया गया. इसके बादपारदर्शी तरीके से इसे कंसलटेंट घोषित किया और मास्टर प्लानिंग समेत अन्य कार्य सौंपे गये. इसके लिए कंपनी को 22.172 करोड़ के भुगतान की मंजूरी दी गयी.
टोक्यो के आर्किटेक्ट ने बनाया डिजाइन
संग्रहालय के भवन का निर्माण के मुख्य आर्किटेक्ट के लिए दुनिया भर की पांच कंपनियों में एक कपंनी का चयन किया गया. इसमें लंदन की फास्टर्स एंड पार्टनर्स तथा सीपी कुकरेजा एंड एसोसएटिस, वियना की कूप हिमेलबलाउ एंड आर्कोहम,टोक्यो की माकी एंड एसोसिएटस विथ अपोलिस मुंबई, ओस्लो नार्वे की स्नोहेटा विद स्पेश मैटर्स तथा न्यू यार्क की स्टूडियो डानियल लिबेस्किंड विद मार्फाें जेनेसिस कंपनी शामिल हुई. इन पांचों कंपनियों के बीच डिजाइन कंपीटिशन कराया गया. पांचों फर्म ने पावर प्रजेंटेशन देकर अपने डिजाइन का माडल प्रस्तुत किया इंटरनेशनल जूरी ने इसका मूल्याकंन कर तीन फर्म को शाट लिस्टेड किया गया. जूरी में शामिल थे विश्वविख्यात मूर्तिकार सुबोध गुप्ता, लंदन के विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय के मार्टिन राथ, अहमदाबाद की सीइपीटी के नीलकंठ छायाआयरलैंड की रायेसिन हेनेगन औरइनवायरमेंट सोलयुशन दिल्ली के श्रीतन्मय तथागत. जूरी द्वारा शार्ट लिस्ट किये गये तीन फर्माें में टोक्यो की माकी एसोसिएटस विद अपोलिस मुंबई को संग्रहालय के मुख्य आर्किटेक्ट के रूप में चयनित किया गया.
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