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योजना बनी सरल, नहीं मिल पा रहे लाभार्थी

पटना: अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा मिले. इसके लिए योजना सरल बनायी गयी है. बावजूद अंतरजातीय विवाह की कुल राशि की एक तिहाई ही खर्च हो सकी है. वित्तीय वर्ष 2014-15 में आवंटित राशि एक करोड़ के एवज में मात्र 17 लाख रुपये ही खर्च हो सकी. सूबे में लाभार्थियों की संख्या मात्र 34 रही. यही […]

पटना: अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा मिले. इसके लिए योजना सरल बनायी गयी है. बावजूद अंतरजातीय विवाह की कुल राशि की एक तिहाई ही खर्च हो सकी है. वित्तीय वर्ष 2014-15 में आवंटित राशि एक करोड़ के एवज में मात्र 17 लाख रुपये ही खर्च हो सकी. सूबे में लाभार्थियों की संख्या मात्र 34 रही. यही हाल वर्ष 2013-14 में रहा. कुल आवंटित राशि 50 लाख में मात्र 20 लाख 75 हजार ही बंटी. लाभार्थियों की घटती संख्या को देखते हुए 2012-13 में न तो राशि आवंटित हुई. योजना की राशि 5 से बढ़ा कर 25 हजार और अब 50 हजार कर दी गयी है.

मार्च 2014 के बाद शादी करनेवाले प्रति जोड़ों को 50 हजार रुपये की राशि दी जानी है. जिला निबंधन कार्यालय,पटना में प्रतिवर्ष 600 से 700 विवाह का निबंधन होता है. अंतरजातीय विवाह करनेवालों की संख्या महज 25 है.

220 में मात्र 25 को स्वीकृति : जिलों में इसकी स्थिति और भी खराब है. लाभार्थी नहीं मिलने से योजना की शेष राशि विभाग को लौटा दी जाती है. जिला बाल संरक्षण इकाई से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 2013-14 में मात्र 220 आवेदन आये. इनमें 25 आवेदन की ही स्वीकृति हो सकी. वहीं 2014-15 में अब तक मात्र 19 आवेदन ही आये. आवेदन रिजेक्ट होने पर आवदेक को सूचना नहीं मिल पाती है. इससे लाभार्थी लाभ नहीं ले पाते हैं.
योजना में बदलाव (4 मार्च 2014 के बाद )
राशि 25 हजार से बढ़ा कर 50 हजार
शादी के तीन माह तक आवेदन की बाध्यता को हटा कर एक साल किया गया है
अंतरजातीय विवाह संबंधी कार्य के लिए हर जिले में नोडल ऑफिसर की नियुक्ति
योजना की राशि राष्ट्रीय बचत पत्र के जरिये न देकर सीधे बैंक में एफडी के द्वारा दी जायेगी
योजना की शर्त
केवल अंतरजातीय विवाह करनेवालों को ही लाभ से जोड़ा गया है. शादी करनेवाले जोड़ों में एक सामान्य जाति व दूसरा पिछड़ी जाति का होना चाहिए. पति या पत्नी के रहते दूसरी शादी करना, एक जाति की उपजाति में विवाह करनेवाले जोड़ों व अंर्तधर्म विवाह को इससे वंचित रखा गया है.
आवदेन की प्रक्रिया
जिला बाल संरक्षण इकाई से फॉर्म लेकर आवेदन किया जा सकता है. साथ ही वर-वधु का आवासीय, जाति व जन्म प्रमाणपत्र भी अनिवार्य है.
कई तरह के बदलाव किये गये हैं ताकि लोग इसका लाभ ले सकें. हालांकि अभी स्थिति अच्छी नहीं है. 17 फीसदी राशि ही लाभार्थियों को मिल सकी है.
मो इमामुद्दीन अहमद, निदेशक, समाज कल्याण .

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