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बीमारी सिर पर, बचाव व इलाज की तैयारी नहीं

मुजफ्फरपुर: एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एइएस) बीमारी से बचाव व इलाज की तैयारी जिले में पूरी नहीं हो पायी है. यहां तक कि इसके लिए डॉक्टरों व पारा मेडिकल स्टाफ की ट्रेनिंग भी नहीं हुई है. पिछले सालों के आकड़ों को देखें तो बीमारी की दस्तक अगले 15 से बीस दिनों में हो सकती है, लेकिन […]

मुजफ्फरपुर: एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एइएस) बीमारी से बचाव व इलाज की तैयारी जिले में पूरी नहीं हो पायी है. यहां तक कि इसके लिए डॉक्टरों व पारा मेडिकल स्टाफ की ट्रेनिंग भी नहीं हुई है. पिछले सालों के आकड़ों को देखें तो बीमारी की दस्तक अगले 15 से बीस दिनों में हो सकती है, लेकिन स्वास्थ्य महकमा बचाव व इलाज की कोई तैयारी नहीं हो पाया है. जागरूकता के लिए छपवाये गये दस लाख परचे विभिन्न पीएचसी में पड़े हैं. इन्हें ग्रामीण इलाकों बंटवाया नहीं गया है.
इलाज का इंतजाम नहीं
पीएचसी स्तर पर बीमारी से बचाव व इलाज का अब तक कोई प्रबंध नहीं है. गांवों में डॉक्टरों की ओर से जागरूकता कार्यक्रम की शुरुआत नहीं की गयी है. बीमारी के इलाज के लिए जिला से दवाएं नहीं ली गयी है. पीएचसी में इलाज के लिए आवश्यक उपकरणों की खरीद नहीं हो सकी है. एबुलेंस का प्रबंध भी नहीं किया गया है. कई डॉक्टरों का कहना है कि जागरूकता कार्यक्रम दो महीने पहले से शुरू होना चाहिए था. वह नहीं हो सका. इलाज की व्यवस्था के लिए भी अब काफी कम समय रह गया है. यदि इसकी तैयारी युद्ध स्तर पर नहीं हुई तो इलाज की बेहतर व्यवस्था नहीं हो सकती.
अब तक नहीं हुई पहल
पिछले महीने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की बैठक में विभाग को जागरूकता कार्यक्रम चलाने का निर्देश दिया गया था. जिले के सिविल सजर्न को कहा गया था कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को बीमारी से बचाव के लिए जागरूक करें. लोगों को यह मैसेज दे कि वे बच्चों को रात में चावल दाल खिला कर सुलाये. इससे बच्चों में चीनी व प्रोटीन की कमी नहीं होगी, लेकिन गांवों में जागरूकता कार्यक्रम नहीं चलाया गया.

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