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मीडियाकर्मियों की चिंता करे सरकार

मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है. सही मायने में यह चहुंओर संतुलन बनाये रखने में अहम भूमिका निभाता है. यह सरकार और जनता के बीच की एक मजबूत कड़ी है. इसके बिना हम प्रजातंत्र की कल्पना भी नहीं कर सकते. आज यदि देश के लोगों को भ्रष्टाचार से थोड़ी-बहुत निजात मिली भी है, तो उसका […]

मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है. सही मायने में यह चहुंओर संतुलन बनाये रखने में अहम भूमिका निभाता है. यह सरकार और जनता के बीच की एक मजबूत कड़ी है. इसके बिना हम प्रजातंत्र की कल्पना भी नहीं कर सकते.
आज यदि देश के लोगों को भ्रष्टाचार से थोड़ी-बहुत निजात मिली भी है, तो उसका श्रेय मीडिया को ही जाता है, परंतु दुख की बात यह है कि इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभानेवाले, अपनी जान जोखिम में डाल कर देशहित में काम करनेवाले मीडियकर्मियों को ही उचित हक नहीं मिलता. सरकार को चाहिए कि वह अपने सालना बजट में मीडियाकर्मियों के लिए भी बजट बनाने की प्रक्रि या शुरू करे. उन्हें भी बजट में स्थान देने का प्रयास करे. जनता के हक, सामाजिक जागरूकता व सरकारी कामों में सहायता करनेवाले इन सिपाहियों की भी सरकार चिंता करे.
संजय राय भट्ट, ई-मेल से

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