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मांझी का आचरण व व्यवहार संसदीय मर्यादा के विपरीत : वशिष्ठ

अपनी सदस्यता बचाने के लिए पार्टी के पक्ष में मांझी समर्थकों ने किया मतदानजीतन राम मांझी को उन विधायकों से लेना चाहिए सबकसंवाददाता, पटना जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने राज्यपाल के अभिभाषण के दिन सदन में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की अनुपस्थिति पर आश्चर्य व्यक्त किया है. उन्होंने कहा जीतन राम […]

अपनी सदस्यता बचाने के लिए पार्टी के पक्ष में मांझी समर्थकों ने किया मतदानजीतन राम मांझी को उन विधायकों से लेना चाहिए सबकसंवाददाता, पटना जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने राज्यपाल के अभिभाषण के दिन सदन में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की अनुपस्थिति पर आश्चर्य व्यक्त किया है. उन्होंने कहा जीतन राम मांझी का आचरण व व्यवहार संसदीय मर्यादा के विपरीत है. उनकी गतिविधियों से बिहार के राजनीतिक इतिहास में काला अध्याय जुड़ गया है. भाजपा के साथ मिल कर जदयू के साथ जीतन राम मांझी ने जो विश्वासघात किया उसका कोई दूसरा उदाहरण नहीं हो सकता. जदयू के जो भी विधायक उनका समर्थन कर रहे थे, उन्होंने 11 मार्च को सदन में जदयू के पक्ष में मतदान किया. इससे भी जीतन राम मांझी को सबक लेना चाहिए. ये विधायक मांझी जी के समर्थन में मर्यादा की सीमा लांघ कर बयानबाजी कर रहे थे, लेकिन अपनी सदस्यता बचाने के लिए उन्होंने पार्टी के पक्ष में मतदान किया. वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि इस तकनीकी पहलू से वे पहले से ही परिचित थे, लेकिन भाजपा के बहकावे में आ कर पार्टी का जितना नुकसान इन लोगों ने किया है इसकी भी कोई दूसरा मिसाल नहीं है. बिहार की जनता इनके कारनामों से भली-भांति परिचित है. इसलिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लोकप्रिय सरकार के बारे में इनका कोई भी दुष्प्रचार सफल नहीं होगा. जनता इनके दोहरे चरित्र से वाकिफ हो चुकी है. जो लोग अपनी सदस्यता बचाने के लिए अपना रुख बदल सकते हैं, उनमें नैतिक साहस नहीं है कि वे जदयू का मुकाबला कर सकें. खबर दोबारा पढ़ी गयी है.

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