सोशल मीडिया पर कई दिनों से दो पोस्टर ट्रेंड कर रहे हैं जिन्होंने एक नई बहस शुरू कर दी है. ट्विटर पर डाले गए इन पोस्टरों से सोशल मीडिया दो खेमों में बंट गया है.
एक खेमा ऐसा है जो ‘आदर्शलिबरल’ नाम से हैशटैग चलाते हुए उदारवादी विचारधारा के लोगों का मजाक उड़ा रहा है.
इसके जवाब में दूसरे खेमे के उदारवादी ‘आदर्शसंघी’ नाम से हैशटैग बनाकर उन पर जवाबी हमला कर रहे हैं.
‘आदर्शलिबरल’ हैशटैग को अब तक 50 हज़ार बार से ज्यादा बार ट्वीट किया जा चुका है.
आदर्शलिबरल नाम के गुमनाम ट्विटर यूजर ने उदारवादी भारतीयों की खिल्ली उड़ाते हुए कहा है कि ये वो लोग हैं जो गरीबी पर विमर्श के लिए महंगी जगह छुट्टियों पर जाते हैं, और गोमांस खाते हुए जानवरों के अधिकार पर बातें करते हैं.
वामपंथी सोच पर कमेंट करते हुए रूपा सुब्रह्मण्यम् ने ट्वीट किया है, "#आदर्शलिबरल पांच सितारा होटलों में गांव की गरीबी पर आयोजित सेमिनार में भाग लेते हैं और मुफ्त का खाना और शराब उड़ाते हैं."
एक दूसरे ट्विटर यूजर कैसर कहते हैं, "#आदर्शलिबरल मानते हैं कि सभी आतंकवादी मुसलमान नहीं होते लेकिन सभी भारतीय पुरुष बलात्कारी होते हैं."
जवाबी हैशटैग
बीबीसी मॉनिटरिंग के मुकेश अधिकारी बताते हैं भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई में बनी मौजूदा सरकार की आलोचना करने वालों पर व्यंग्य करने के लिए ‘आदर्शलिबरल’ हैशटैग का इस्तेमाल किया जा रहा है.
वे कहते हैं कि ट्विटर पर कई शीर्ष पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं को ‘छद्म उदारवादी बुद्धिजीवी’ का तमगा दिया जा रहा है.
इसके जवाब में उदारवादी विचारधारा के लोगों ने भी हमला किया है. ये लोग ट्विटर पर ‘आदर्शसंघी‘ (दक्षिणपंथी विचारधारा वाले हिंदू संगठन) और ‘आदर्शभक्त‘ (आदर्श धार्मिक व्यक्ति) नाम से हैशटैग चला रहे हैं, हालांकि इनकी संख्या तुलनात्मक रूप से कम है.
ट्विटर हैंडल @ब्राउनबर्मी में लिखा गया है, "10 साल तक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को गाली देने के बाद ‘आदर्शसंघी’ अब मोदी को सम्मान देने की बात कर रहे हैं क्योंकि वो प्रधानमंत्री हैं."
जॉयदास ट्विटर पर लिखते हैं कि #आदर्शलिबरल हास्य और व्यंग के लिए जाने जाते हैं #आदर्शसंघी अफवाह और … के लिए.
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