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दूषित जल से बुझ रही है छात्रों की प्यास

चापाकल के गंदे पानी से ही बनता है मध्याह्न भोजनफोटो: 11 बांका- 5 दूषित पानी को दिखाते शिक्षक,6 भतकुंडी गांव में खराब चापाकल दिखाते ग्रामीण प्रतिनिधि, बांकाप्राथमिक विद्यालय गोलाहू में स्कूली बालक बालिका दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. इनकी सुनने वाला कोई नहीं है. अपनी समस्याओं को लेकर विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक संबंधित विभागों […]

चापाकल के गंदे पानी से ही बनता है मध्याह्न भोजनफोटो: 11 बांका- 5 दूषित पानी को दिखाते शिक्षक,6 भतकुंडी गांव में खराब चापाकल दिखाते ग्रामीण प्रतिनिधि, बांकाप्राथमिक विद्यालय गोलाहू में स्कूली बालक बालिका दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. इनकी सुनने वाला कोई नहीं है. अपनी समस्याओं को लेकर विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक संबंधित विभागों के चक्कर लगा कर हार चुके है. स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक दयानंद कुमार ने बताया कि चापाकल से पीले रंग का पानी निकलता है. स्कूली बच्चे अपना प्यास इसी पानी से बुझाते हैं. साथ ही मध्याह्न भोजन सहित अन्य कार्य भी इसी पानी से किया जाता है. इस समस्या के निदान के लिए शिक्षा विभाग एवं पीएचइडी विभाग का भी चक्कर लगा चुके हैं. पर समस्या जस की तस बनी हुई है. वहीं भतकुंडी गांव के कदरसी टोला में दोनों सरकारी चापाकल 12 महीने से खराब है. इस टोले के लोगों को विद्यालय की चहारदीवारी पार कर पानी ढोना पड़ता है.कहते हैं जानकारइस संबंध में चमन साह सरस्वती विद्या मंदिर जगतपुर बांका के विज्ञान शिक्षक मिथलेश कुमार झा का कहना है कि ऐसे दूषित जल में आयरन, फ्लोराइड सहित अन्य हानिकारक रसायन घुले रहते हैं. ऐसा पानी पीने से पीलिया, अतिसार, टाइफाइड, डायरिया, दांत पीला सहित अन्य बीमारी स्कूली बच्चों में हो सकती है. कहते हैं कार्यपालक अभियंतापीएचइडी विभाग के कार्यपालक अभियंता मनोज कुमार चौधरी ने बताया कि मुझे अब तक इस विषय में लिखित शिकायत नहीं मिली है. दो दिनों के अंदर गोलाहू व भतकुंडी के चापाकल दुरुस्त कर दिये जायेंगे.

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