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तीसरी तिमाही में चालू खाते का घाटा दोगुना होकर 8.2 अरब डालर

मुंबई: देश का चालू खाते का घाटा (कैड) अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में पिछले साल की इसी तिमाही के मुकाबले दोगुना होकर 8.2 अरब डालर हो गया जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.6 प्रतिशत है. हालांकि, इससे पिछली तिमाही के मुकाबले कैड में सुधार हुआ है. विश्लेषकों ने मार्च तिमाही में कैड की स्थिति में और […]

मुंबई: देश का चालू खाते का घाटा (कैड) अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में पिछले साल की इसी तिमाही के मुकाबले दोगुना होकर 8.2 अरब डालर हो गया जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.6 प्रतिशत है. हालांकि, इससे पिछली तिमाही के मुकाबले कैड में सुधार हुआ है.
विश्लेषकों ने मार्च तिमाही में कैड की स्थिति में और सुधार की उम्मीद जताई है.रिजर्व बैंक द्वारा आज जारी आंकडों के अनुसार एक वर्ष पूर्व इसी तिमाही में कैड 4.2 अरब डालर या जीडीपी का 0.9 प्रतिशत था। कैड अर्जित और खर्च हुई विदेशी मुद्रा का अंतर है.
हालांकि, सितंबर तिमाही की तुलना में दिसंबर तिमाही में चालू खाते का घाटा कम हुआ है. सितंबर तिमाही में यह 10.1 अरब डालर या सकल घरेलू उत्पाद का 2 प्रतिशत था.चालू वित्त वर्ष के पहले नौ माह में चालू खाते का घाटा घटकर जीडीपी के 1.7 प्रतिशत रह गया है. कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट व सेवाओं के उंचे निर्यात से वस्तुओं के निर्यात में आई कमी की भरपाई हो सकी है. इससे पिछले वित्त वर्ष की नौ माह की अवधि में कैड 31.1 अरब डालर या जीडीपी का 2.3 प्रतिशत रहा था.
विश्लेषकों ने हालांकि, पहले ही इस तरह की संभावना जताई है कि कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट को देखते हुये मार्च तिमाही में चालू खाते में जीडीपी के मुकाबले डेढ प्रतिशत तक अधिशेष की स्थिति बन सकती है. यदि ऐसा होता है, तो 2007 की मार्च तिमाही के बाद यह पहला अधिशेष होगा.
रेटिंग एजेंसी इक्रा की वरिष्ठ अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘‘तिमाही दर तिमाही आधार पर कैड में गिरावट एक सकारात्मक आश्चर्य है.’’

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