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नीतीश बताएं कि भूमि अधिग्रहण में किसान विरोधी क्या है : मोदी

पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश का विरोध करनेवाले जदयू नेताओं से सवाल पूछा है. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से यह बताने को कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा लाये गये भूमि अधिग्रहण अध्यादेश में किसान विरोधी ऐसा क्या है. उन्होंने कहा कि नये कानून में किसान के हितों को सर्वोच्च […]

पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश का विरोध करनेवाले जदयू नेताओं से सवाल पूछा है. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से यह बताने को कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा लाये गये भूमि अधिग्रहण अध्यादेश में किसान विरोधी ऐसा क्या है. उन्होंने कहा कि नये कानून में किसान के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गयी है. कानून में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए जमीन के बाजार मूल्य का चार गुना और शहरी क्षेत्रों के लिए दो गुना मुआवजा निर्धारित किया गया है.

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार किसानों के इतने ही बड़े हितैषी हैं, तो मुआवजे की राशि को चार गुना से बढ़ा कर आठ गुना कर दें तथा भूमि अधिग्रहण के लिए किसानों की सहमति और सामाजिक प्रभावों का अध्ययन जैसे प्रावधानों को भी लागू कर लें, इस पर कोई रोक तो है नहीं.

मोदी ने कहा कि किसान के हितों पर घड़ियाली आंसू बहानेवाले मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि राज्य के हजारों किसानों को औने-पौने दामों पर अपना धान क्यों बेचना पड़ा? धान खरीद शुरू हुए चार महीने बाद भी तय लक्ष्य 30 लाख टन की जगह मात्र 11 लाख टन की ही खरीद क्यों हो पायी है? कृषि रोड मैप बिहार में बुरी तरह विफल क्यों हो गया? सुशील मोदी ने कहा कि भू-अजर्न के नये कानून में शहरीकरण के लिए ली जानेवाली जमीन में मुआवजे के अतिरिक्त जमीन मालिक की हिस्सेदारी विकसित भूमि के 20 प्रतिशत हिस्से में होगी. जिस परियोजना के कारण रोजगार पैदा होगा, उसमें जमीन देनेवाले प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को नौकरी या पांच लाख रुपया प्रति परिवार या दो हजार रुपया 20 साल तक प्रति माह देने का प्रावधान किया गया है. विस्थापित परिवारों को 50 हजार रुपया परिवहन तथा 50 हजार रुपया पुनर्वास भत्ता के तौर पर देय होगा.

नीतीश कुमार बताएं कि क्या यह सब किसान विरोधी हैं? नया भू अजर्न कानून किसानों के हित में है. इससे न केवल विकास को गति मिलेगी, बल्कि भूमि मालिकों के साथ जमीन के जरिये जीविकोपाजर्न करनेवाले मजदूरों और बटाईदारों को भी मुआवजा मिलेगा. नीतीश कुमार को बताना चाहिए कि क्या किसानों को अच्छे अस्पताल, स्कूल-कॉलेज, विद्युत परियोजनाएं, सड़कें, पुल-पुलिये और ग्रामीण उद्योगों की आवश्यकता नहीं है? क्या इन परियोजनाओं, आधारभूत संरचनाओं के विकास से रोजगार के अवसर पैदा नहीं होंगे? क्या बिहार में ही अनेक परियोजनाएं भू-अजर्न नहीं होने के कारण अटकी हुई नहीं हैं? मोदी ने कहा, भूमि अधिग्रहण के नये कानून में किसानों के हितों की कीमत पर कोई अधिग्रहण नहीं होगा. गांव, किसान और गरीबों के हितों को प्राथमिकता देते हुए केवल प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया है. इसमें न केवल किसानों की सहभागिता बढ़ेगी, बल्कि पैदा होनेवाले रोजगार का प्रत्यक्ष लाभ भी उन्हें मिलेगा. इस कानून का विरोध करनेवाले नीतीश कुमार न केवल जनता के बीच भ्रम फैला रहे हैं, बल्कि अपने विकास विरोधी चरित्र को भी उजागर कर रहे हैं.

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