एक ढंग का कृषि विशेषज्ञ भी सरकार को सलाहकार रखना चाहिए, ताकि वह सरकार को किसानों की विभिन्न तरह की कठिनाइयों से अवगत करा सके. उसे यह तो पता चले कि सिर्फ यूरिया से खेती नहीं होती. बजट में किसानों को सिर्फ यूरिया में सब्सिडी मिली और डीएपी, फॉस्फोरस, पोटाश की कीमतें अपने सर्वोच्च स्तर को छू रही हैं. खेती के लिए सरकार से मिलनेवाले बीज किसान तक नहीं पहुंच रहे हैं.
पटमदा से आये किसान एक गोभी को पांच रु पये में बेचते हैं और बाजार में लोग बीस रु पए में खरीदते हैं. बिचौलियों की मनमानी अब भी वही है, तो किसानों की तरक्की कैसे होगी? कोल्ड स्टोरेज की बातें सिर्फ बातें ही हैं. एक तो कृषि मौसम की मेहरबानी से होती, ऊपर से महंगाई और बजट में सिर्फ यूरिया पर सब्सिडी! याद रहे कि किसान बुनियाद हैं और बुनियाद मजबूत हो तो इमारत अपने आप मजबूत होती है.
त्रिदीप महतो, जमशेदपुर