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क्या हैं भारतीय शेयर बाजार में गिरावट की अहम वजहें और हमें क्यों बाजार में बने रहना चाहिए?

मुंबई : भारतीय शेयर बाजार में सोमवार की जोरदार गिरावट ने निवेशकों की पेशानी पर बल ला दिया है. निवेशक इससे चिंतित हैं कि वे बाजार में पैसे लगायें या उससे दूर रहें. पर, जानकारों का मानना है कि इस तरह की गिरावट से चिंतित होने की जरूरत नहीं है और आने वाले दिनों में […]

मुंबई : भारतीय शेयर बाजार में सोमवार की जोरदार गिरावट ने निवेशकों की पेशानी पर बल ला दिया है. निवेशक इससे चिंतित हैं कि वे बाजार में पैसे लगायें या उससे दूर रहें. पर, जानकारों का मानना है कि इस तरह की गिरावट से चिंतित होने की जरूरत नहीं है और आने वाले दिनों में भारतीय बाजार का भविष्य उज्ज्वल है. जानकार इसे शार्ट टर्म करेक्शन मान रहे हैं. आज बाजार में सबसे ज्यादा मार बैंकिंग शेयरों पर पड़ी. आइसीआइसीआइ व एचडीएफसी जैसे निजी क्षेत्र के बड़े बैंक के शेयर तो आज टूटे ही, सरकारी बैंक के शेयरों में भी गिरावट आयी. आज कैपिटल गुड्स, आइटी, पॉवर व रियलिटी शेयरों में भी जोरदार गिरावट आयी.

आइए जानें उन प्रमुख कारणों को जिसने आज बाजार को बेदम किया और क्या वे अहम संकेत हैं, जिससे हमें इस तात्कालिक गिरावट पर घबराना नहीं चाहिए और बाजार में बने रहना चाहिए :

1. आज डॉलर के मुकाबले रुपया शुरुआती सत्र में ही 50 पैसा नीचे गिरा. रुपये में गिरावट के बाद आज शुरुआती सत्र में ही एक डॉलर 62.66 रुपये का हो गया. फॉरेक्स बाजार के विेषकों के अनुसार, अन्य वैश्विक मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती और आयातकों की ओर से इसकी मांग बढ़ने के कारण रुपये की विनिमय दर प्रभावित हुई है.

2. हाल में रायटर के एक सर्वे के आधार पर यह अनुमान प्रस्तुत किया गया कि अगले 12 महीने में डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार गिरावट दर्ज की जायेगी. इस दौरान डॉलर अधिक मजबूत होता जायेगा. इसका असर भी भारतीय बाजार पर दिख रहा है. हालांकि भारतीय मुद्रा दुनिया के कई दूसरे देशों की मुद्रा की तुलना में अब भी अधिक मजबूत है.

3. 2015 में अबतक भारतीय शेयर बाजार का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 1500 अंक तक ऊपर जा चुका है, जबकि पिछले साल यानी 2014 में बाजार में कुल 30 प्रतिशत की बढ़त आयी. पिछले साल दुनिया की दस सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में सबसे शानदार प्रदर्शन भारतीय शेयर बाजार ने किया था. ऐसे में बाजार में अभी जो गिरावट आ रही है, वह करेक्शन है और यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है.

4. भारतीय शेयर बाजार में यह दबाव वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं का असर है. शुक्रवार को दुनिया के कुछ प्रमुख बाजार में गिरावट आयी थी. जानकारों का कहना है कि इस साल जून मध्य में अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में वृद्धि कर सकता है. बाजार पर इन खबरों का भी असर पड़ रहा है और वे दबाव में दिख रहे हैं.

5. जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में दुनिया की कई महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं द्वारा मौद्रिक समीक्षा किये जाने का असर बाजार पर दिखेगा. इसमें पांच से सात प्रतिशत तक करेक्शन आ सकता है. बाजार में इस दौरान तेज उतार-चढाव देखने को मिलेगा. पर, निवेशकों को इससे घबराना नहीं चाहिए और अच्छे व चुनिंदा स्टॉक में निवेश करना चाहिए.

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