नयी दिल्लीःजम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता मसरत आलम की रिहाई के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि इस तरह की गतिविधि भारत सरकार को जानकारी दिए बिना हो रही हैं और देश की एकता अखंडता के लिए जो भी जरुरी होगा उनकी सरकार करेगी.
मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व वाली राज्य की पीडीपी भाजपा गठबंधन सरकार के मसरत की रिहाई के फैसले पर लोकसभा में आज विपक्ष द्वारा प्रकट किए गए भारी आक्रोश पर प्रधानमंत्री ने सदन में कहा, ‘‘ सरकार बनने के बाद वहां जो कुछ भी गतिविधियां हो रही हैं , वे न तो भारत सरकार से मशविरा करके हो रही हैं और न भारत सरकार को जानकारी देकर हो रही हैं.’’
मोदी ने कहा, ‘‘ सदन में और देश में जो आक्रोश है, उस आक्रोश में मैं भी अपना स्वर मिलाता हूं. यह देश अलगाववाद के मुद्दे पर दलबंदी के आधार पर न पहले कभी सोचता था , न अब सोचता है और न आगे कभी सोचेगा.’’ प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे पर कहा, ‘‘समय आने पर अवश्य राजनीतिक टिप्पणियां करें बीजेपी वहां सरकार में हिस्सेदार है आप उसकी भरपूर आलोचना करें होनी भी चाहिए लेकिन ऐसा करते समय देश की एकता के संबंध में यह संदेश नहीं जाना चाहिए कि हमारे भिन्न स्वर हैं.
ऐसा संदेश न देश में , न दुनिया में और न कश्मीर में जाना चाहिए.’’ इस मुद्दे पर विपक्ष द्वारा हंगामा किए जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘ यह पूछा जा रहा है कि मोदी जी चुप क्यों हैं ऐसा कोई कारण नहीं है कि हमें इस मुद्दे पर चुप रहना पडे. हम वो लोग हैं जिन्होंने इन आदशरे के लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिया है इसलिए कृपया करके हमें देशभक्ति न सिखाएं.’’
कश्मीर सरकार से इस संबंध में पूरी जानकारी मांगी गयी है. जानकारी आने के बाद एक बार फिर सदन में उसे रख दिया जायेगा. प्रधानमंत्री ने कहा, विपक्ष को आलोचना का हक है. यह आक्रोश किसी दल का नहीं देश का है.