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बिहार में हो रही है सत्ता की राजनीति

जब विधानसभा का चुनाव नजदीक आ गया है, तो बिहार में सत्ता पाने की राजनीति एक बार फिर हावी हो गयी है. यह कहां तक जायज है कि विधान परिषद के किसी सदस्य के हाथ में मुख्यमंत्री का पद दोबारा सौंप दिया जाये? यह न तो लोकतांत्रिक है और न ही संवैधानिक, क्योंकि विधानसभा के […]

जब विधानसभा का चुनाव नजदीक आ गया है, तो बिहार में सत्ता पाने की राजनीति एक बार फिर हावी हो गयी है. यह कहां तक जायज है कि विधान परिषद के किसी सदस्य के हाथ में मुख्यमंत्री का पद दोबारा सौंप दिया जाये? यह न तो लोकतांत्रिक है और न ही संवैधानिक, क्योंकि विधानसभा के नेता को ही इस पद पर आसीन होना चाहिए, जिसे विधानसभा में मतदान का अधिकार हो.

नीतीश कुमार छह महीने बाद चुनाव जीत कर शायद ही दोबारा मुख्यमंत्री बन पायें. वह बार-बार जनता से माफी मांग रहे हैं, पर शायद ही मतदाता उन्हें माफ कर सकेंगे. इसका कारण यह है कि उन्होंने जो कुछ भी किया है वह जनभावनाओं से खिलवाड़ और लोकतंत्र की भावनाओं के विपरीत है. उन्होंने जनता की भावनाओं को ताक पर रख कर काम किया है, जिसका भुगतान उन्हीं को करना होगा.

गोपाल शरण शर्मा, रांची

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