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अवैध शराब का निर्माण धड़ल्ले से

पांच सालों में ढ़ाढ़ी टोले में 48 आपराधिक मामले हुए दर्ज शेखपुरा : अवैध शराब कारोबार को लेकर चर्चित मुरारपुर गांव का ढ़ाढ़ी टोला आज आपराधिक कृत्यों के लिए भी शेखपुरा पुलिस के समक्ष चुनौतियां खड़ी कर रहा है. इस कारोबार को लेकर पिछले पांच साल पूर्व शुरू हुए वर्चस्व की लड़ाई आज इस कदम […]

पांच सालों में ढ़ाढ़ी टोले में 48 आपराधिक मामले हुए दर्ज
शेखपुरा : अवैध शराब कारोबार को लेकर चर्चित मुरारपुर गांव का ढ़ाढ़ी टोला आज आपराधिक कृत्यों के लिए भी शेखपुरा पुलिस के समक्ष चुनौतियां खड़ी कर रहा है. इस कारोबार को लेकर पिछले पांच साल पूर्व शुरू हुए वर्चस्व की लड़ाई आज इस कदम परवान पर है कि आये दिन गोलीबारी व पथराव की घटना आम हो गयी है.
ऐसे में छह मार्च शुक्रवार को इसी वर्चस्व ने 25 वर्षीय संजय राम की हत्या ने इस टोले की आपसी गुटबंदी के प्रतिशोध की रंजिश को परवान चढ़ा दिया है. खास बात यह है कि पिछले पांच सालों के आपराधिक कांडों में इस टोले पर नजर डालें तब पुलिस रिकार्ड में 48 प्राथमिकी दर्ज है. जिसमें 60 से 70 लोगों को आरोपित बनाया गया है. मुरारपुर गांव का ढ़ाढ़ी टोला आज आपसी रंजिश के तनाव में अपराध की दुनिया का कहीं न कहीं नयी पीढ़ी भी तैयार कर रहा है.
क्या है स्थिति: मुरारपुर गांव के ढ़ाढ़ी टोले के आपराधिक परिदृश्यों पर अगर नजर डालें तब करीब दो दशक पूर्व यहां अवैध शराब का जिले भर में सबसे बड़ा कारोबार शुरू हुआ था. इस कारोबार में आय के बड़े स्नेत की लालच ने टोले को दो गुटों में बांट दिया. पुलिस रिकार्ड के मुताबिक इस टोले में वर्चस्व की लड़ाई की एक धूरी का नेतृत्व मृतक संजय राम और सुराजी राम कर रहा था,जबकि दूसरी धुरी का नेतृत्व हरिकांत राम कर रहा था. इस वर्चस्व में हरिकांत के समर्थक करीब एक दशक पूर्व शेखपुरा थाना क्षेत्र के सुरदासपुर गांव में नया बसेरा बना कर अपना बड़ा अवैध शराब का कारोबार को स्थापित कर लिया, जबकि संजय राम मुरारपुर गांव के बाहर टाटी नदी के किनारे अपना अवैध कारोबार स्थापित कर लिया.
छापेमारी बेअसर : जिले के मुरारपुर और सुरदासपुर गांव में फैला अवैध शराब का कारोबार आज इस कदर कानून व्यवस्था पर हावी है कि छापेमारी का कारोबारियों पर कोई असर नहीं होता. पुलिस अथवा उत्पाद विभाग में प्रति वर्ष लगभग एक दर्जन छापेमारी में लाखों लीटर शराब और बड़ी पूंजी नुकसान पहुंचाने की कार्रवाई की जाती है. लेकिन आज तक छापेमारी के दूसरे-तीसरे दिन से ही कारोबार दोबारा शुरू होने का सिलसिला देखा गया. खास बात यह है कि इस कारोबार में महिलाओं और बच्चों की भी भागीदारी देखी जाती है.
कब सुधरेंगे हालात : मुरारपुर और सुदासपुर गांव में अवैध शराब के कारोबार को लेकर नयी पीढ़ी भी विरासत में मिले कारोबार को बढ़ाने में एक-दूसरे के दुश्मन बन रहे हैं. पेट की खातिर शुरू दोनों गांवों में अवैध शराब का कारोबार वर्चस्व की लड़ाई का रूप धारण कर आज एक-दूसरे के खून के भी प्यासे होने लगे हैं. वर्चस्व की इस लड़ाई ने जिले के आपराधिक आंकड़ों के ग्राफ में गुणात्मक इजाफा किया है. वहीं दूसरी ओर इस आपराधिक घटनाओं के सिलसिले ने पुलिस के समक्ष नयी चुनौती को खड़ा कर दिया.
मुरारपुर ढ़ाढ़ी टोले का आपराधिक आंकड़ा :
2009 – 02,2010 – 05,2012 – 12,2013 – 09,2014 – 20.

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