श्रीनगर : करीब साढे चार साल जेल में बिताने के बाद कल रिहा किए गए कट्टरपंथी अलगाववादी नेता मसर्रत आलम ने आज कहा कि पीडीपी-भाजपा की सरकार ने उस पर कोई एहसान नहीं किया क्योंकि सामान्य न्यायिक प्रक्रिया के तहत उसकी रिहाई हुई है. आलम ने बताया, ‘सरकार ने मुझ पर कोई एहसान नहीं किया है. मेरी रिहाई सामान्य न्यायिक प्रक्रिया के तहत हुई है.’
उसने कहा कि ‘संबंधित अदालतों से जमानत दे दिए जाने के बाद भी’ उसे बार-बार लोक सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में रखा गया. अपनी रिहाई से जुडे विवाद पर मुस्लिम लीग के नेता ने कहा, ‘यदि मेरी रिहाई पर कोई हो-हल्ला मचा रहा है तो यह उसका सिर दर्द है.’
यह पूछे जाने पर कि क्या उसकी रिहाई अलगाववादियों और सरकार के बीच वार्ता की बहाली का संकेत है, इस पर आलम ने कहा कि हुर्रियत कांफ्रेंस इस पर कोई फैसला करेगा. उसने कहा, ‘हम (मुस्लिम लीग) फोरम (हुर्रियत कांफ्रेंस) का हिस्सा हैं. वार्ता पर फोरम जो भी फैसला करेगा, मैं उसे मानूंगा.’
अलगाववादी नेता को अक्तूबर 2010 में गिरफ्तार किया गया था. आलम ने इस आरोप को खारिज किया कि रिहाई के मुद्दे पर उसके और राज्य सरकार के बीच कोई समझौता हुआ है और इससे केंद्र एवं अलगाववादियों के बीच वार्ता शुरू हो सकती है. उसने पूछा, ‘मेरी रिहाई में बडी बात क्या है? मैं पिछले 20 साल से जेल आता-जाता रहा हूं. मेरी रिहाई में नया क्या है?’