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कटु और तीखी स्मृतियों को जलायें

तसवीर राज कौशिक की रांची. होलिका दहन का अर्थ पिछले वर्ष की कटु और तीखी स्मृतियों को जलाना और हंसते-खेलते नव वर्ष का आ ान करना है. श्रृष्टिकर्ता ईश्वर ने अत्याचार रूपी हिरण्यकश्यपु तथा दुख, अशांति और भय रूपी होलिका के चंगुल से प्रह्लाद को मुक्त करा कर दुनिया को यही संदेश दिया था. उक्त […]

तसवीर राज कौशिक की रांची. होलिका दहन का अर्थ पिछले वर्ष की कटु और तीखी स्मृतियों को जलाना और हंसते-खेलते नव वर्ष का आ ान करना है. श्रृष्टिकर्ता ईश्वर ने अत्याचार रूपी हिरण्यकश्यपु तथा दुख, अशांति और भय रूपी होलिका के चंगुल से प्रह्लाद को मुक्त करा कर दुनिया को यही संदेश दिया था. उक्त बातें भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी एके सिन्हा ने चौधरी बगान ब्रह्मकुमारी संस्थान में आयोजित होली मिलन समारोह में कही. कार्यक्रम में उपस्थित मेडिका अस्पताल के डॉ संजय कुमार ने कहा कि होली पर होलिका दहन करने से बहुत परिवर्तन नहीं आनेवाला है, बल्कि हमें अपने मन की बुराइयों और चिंता को जलाने की जरूरत है. कार्यक्रम में उपस्थित पवन बजाज ने कहा कि संसार में दो ही रंग हैं. एक माया का रंग और दूसरा ईश्वर का रंग. ईश्वर के रंग में रंगना श्रेष्ठ होली मनाने जैसा है, जबकि माया के रंग में रंगनेवाला भोगी है.

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