कोलंबो : श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने वक्त गुजरने के साथ तमिल इलाके से फौज की मौजूदगी में कमी लाने का संकेत दिया. हालांकि, उन्होंने हालात में सुधार होने तक सैन्यकर्मियों की मौजूदगी में कमी लाने से इंकार किया. विक्रमसिंघे ने यह नहीं बताया कि हालात में सुधार का मतलब क्या है. तमिल थांती टीवी को एक साक्षात्कार में उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि राज्य के नियंत्रण में बहुत सारी जमीन है जिसे जनता को लौटाया जा सकता है.
श्रीलंका के सभी हिस्सों में सेना की मौजूदगी पर जोर देते हुए विक्रमसिंघे ने कहा, ‘मुझे कोई कारण नहीं लगता कि श्रीलंका के किसी भी जिले से फौज को हटाया जाना चाहिए. श्रीलंका के हर हिस्से में जिला मुख्यालय है और असल में उनका ढांचा भारत के जिलों की तरह ही है.’
उत्तरी हिस्से में सेना नागरिक अनुपात को भयावह बताए जाने के बारे में पूछने पर विक्रमसिंघे ने कहा, ‘मैं जानता हूं. हमने जो कहा है. जहां तक हमारा संबंध है हम सुधार होने तक कहीं से भी सुरक्षा बल नहीं हटाएंगे.’ खासकर सेना नागरिक अनुपात पर टिप्पणी करते हुए विक्रमसिंघे ने कहा, ‘समय गुजरने के साथ नागरिक फौज अनुपात समायोजित किया जाएगा. किसी ने भी यह नहीं कहा है कि हमेशा यह ज्यादा बना रहेगा.’
विक्रमसिंघे ने माना कि राज्यों के नियंत्रण में काफी सारी जमीन है जिसे लोगों को वापस किया जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘देश के कई भागों में जमीन है जिसे लोगों को वापस किया जा सकता है. हमने हजारों एकड के साथ इसकी शुरुआत कर दी है और अब टीएनए ने कहा है कि अदालत में दो हजार एकड को लेकर करार हुआ है, मैंने इसे अटार्नी जनरल के हवाले किया है.’