नयी दिल्ली : भारतीयों को सोना नहीं खरीदने के लिए कहना वैसा ही है जैसे अमेरिकियों से कहा जाए कि वे शराब न पीएं. यह बात अरबपति निवेशक थामस कैपलन ने कही. भारत की सोने की भूख की प्रशंसा करते हुए कैपलन ने कहा कि सोना भारत के लिए पारंपरिक तौर पर संपत्ति संग्रह का बहुत अच्छा तरीका रहा है.
उन्होंने कहा कि चीन विशेष तौर पर और खुलकर अपनी जनता को सोना खरीदने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. भारत वैश्विक स्तर पर सोने का सबसे बडा उपभोक्ता है और हर साल 800-1000 टन सोने का आयात करता है. उन्होंने सीआईआई के एक समारोह के मौके पर कहा ‘मुझे लगता है कि सोना या सोने के आयात पर प्रतिबंध लगाना उतना ही सफल रह सकता है जितना कि अमेरिकियों से यह कहना कि वे शराब न पीएं. शराबबंदी सफल न रहने पर आखिर किसी को तो वास्तविकता स्वीकार करनी होगी.’
वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि सोने के आयात पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश सफल होगी या नहीं. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2015-16 में स्वर्ण बांड के विमोचन और मौद्रीकरण समेत तीन योजनाओं का प्रस्ताव किया है ताकि सोने के आयात पर लगाम लगे और देश में बेकार बडे सोने के विशाल भंडार को बाजार में लाया जा सके.
सोने के निवेश के प्रचारक के तौर पर जाने वाले कैपलन ने कहा ‘सोने के मूल्य से स्पष्ट है कि पिछले कुछ वर्षों में जिन भारतीयों ने सोना खरीदा है, वे जब पीछे मुडकर देखेंगे तो वे कह सकते हैं कि यह सफल रहा. इसी को सकारात्मक सुदृढीकरण कहते हैं.’