जायका को फरवरी के अंत तक रिपोर्ट सौंपनी थी. मिली जानकारी के अनुसार रिपोर्ट में कहा गया है कि गांधी सेतु की जो स्थिति है, उसमें पूरे स्ट्रक्चर को बदल कर ही उसमें सुधार किया जा सकता है. बिना स्ट्रक्चर बदले यह सुरक्षित नहीं रह सकता है. पुराने स्ट्रक्चर को हटा कर स्टील का स्ट्रक्चर तैयार कर उस पर स्लैब डाल कर उसे आवागमन के चालू किया जा सकता है. इस पर 165 मिलियन डॉलर के खर्च का अनुमान है. एनएच के आधिकारिक सूत्र ने बताया कि जायका द्वारा सौंपी गयी रिपोर्ट के बारे में विभाग को कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करायी गयी है.
सूत्र ने बताया कि जायका ने सड़क, परिवहन व राजमार्ग मंत्रलय को रिपोर्ट सौंपी है. जानकार का कहना है कि पुराने स्ट्रक्चर को हटा कर स्टील का स्ट्रक्चर तैयार करने में अधिक समय लग सकता है. करीब तीन से चार साल तक उस पर आवागमन बाधित रहेगा. एक पिलर के स्ट्रक्चर को काटने का काम छह माह से चल रहा है. स्टील स्ट्रक्चर बनाने में कितना समय लगेगा, इसकी वास्तविक जानकारी जायका द्वारा सौंपी गयी रिपोर्ट से ही पता चल पायेगा. उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने गांधी सेतु की मरम्मत कराने का निर्णय लिया. यह काम एनएचएआइ करायेगा. पुल की स्थिति पर रिपोर्ट सौंपने के लिए जायका की टीम ने अक्तूबर में पुल का निरीक्षण किया गया था. टीम को जनवरी में निरीक्षण करना था, लेकिन ठंड की वजह से टीम का दौरा नहीं हुआ.