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पांच वर्षो में 55000 करोड़ का घाटा : नीतीश

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा कि 14वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं और केंद्र सरकार की बजट घोषणा के बाद बिहार को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा. केंद्र द्वारा सभी योजनाओं की राशि का जो कंपोजिशनल शिफ्ट किया गया है, उससे बिहार को अगले पांच सालों में 50-55 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने […]

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा कि 14वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं और केंद्र सरकार की बजट घोषणा के बाद बिहार को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा. केंद्र द्वारा सभी योजनाओं की राशि का जो कंपोजिशनल शिफ्ट किया गया है, उससे बिहार को अगले पांच सालों में 50-55 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने की आशंका है.

बिहार को मिलनेवाली कुल राशि में मात्र 37.9 फीसदी की बढ़ोतरी तो की गयी है, लेकिन केंद्र की ओर से राज्यों को मिलनेवाले अंशदान में बिहार की राशि में 1.3 फीसदी की कटौती की गयी है. अगर यह कटौती नहीं होती, तो बिहार को नुकसान नहीं होता.

01, अणो मार्ग में जनता दरबार के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीतीश कुमार ने कहा, 14 वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं के बाद बिहार को मिलनेवाली राशि में मात्र 37.96 फीसदी वृद्धि हुई है. बिहार को वित्तीय वर्ष 2014-15 में 36,963 करोड़ रुपये मिले, लेकिन अब वित्तीय वर्ष 2015-16 में 50,747 करोड़ रुपये मिलेंगे. बिहार के मद में जो राशि बढ़ी है, वह दूसरे राज्यों की तुलना में कम है और न्यूनतम राशि बढ़ोतरीवाले तीन राज्यों में एक है. बिहार से कम तेलंगाना की राशि में 30.9 फीसदी और सबसे कम तमिलनाडु की राशि में मात्र 25.7 फीसदी की बढ़ोतरी की गयी है. सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ के लिए 93.9 फीसदी राशि बढ़ोतरी की गयी है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र द्वारा राज्यों को मिलनेवाले स्केल में भी 14वें वित्त आयोग में घटा दिया गया है. 13 वें वित्त आयोग के समय राज्यों को मिलनेवाली राशि में से 10.9 फीसदी राशि बिहार को मिलती थी, लेकिन 14 वें वित्त आयोग में अब 9.6 फीसदी राशि ही मिल सकेगी. इससे बिहार को 50-55 हजार करोड़ रुपये का पांच सालों में घाटा होगा. अगर 13 वें वित्त आयोग के स्केल को जारी रखा जाता, तो यह बिहार को घाटा नहीं होता. उन्होंने कहा कि यह नजरअंदाज करनेवाली बात नहीं है. इसकी भरपाई की भी बात नहीं हो रही है.

केंद्र ने बीआरजीएफ को तो खत्म करने की बात कही, लेकिन बिहार पुनर्गठन कानून के अनुसार बिहार को विशेष सहायता को जारी रखने की बात हुई है. अगर केंद्र इस कानून को नहीं मानता, तो यह इसका उल्लंघन होता और हमारे पास सुप्रीम कोर्ट जाने के अलावा कोई चारा नहीं था. केंद्रीय प्रायोजित योजना और केंद्रांश खत्म कर दिया गया है. यह सब एक अप्रैल, 2015 से लागू भी हो जायेगा. सभी को मर्ज कर दिया गया है और यह कंपोजिशनल शिफ्ट किया गया है.

उन्होंने कहा कि बिहार को केंद्र की ओर से अतिरिक्त मदद मिलनी चाहिए. केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने बजट में बिहार को आंध्र के तर्ज पर विशेष सहायता देने की बात कही है, लेकिन इसमें बिहार को कितनी राशि मिलेगी, इसकी कोई कार्ययोजना नहीं बतायी गयी है. इस बार नये मापदंड के कारण भी बिहार को नुकसान हुआ है. झारखंड बंटवारे के बाद प्राकृतिक वन बिहार में नहीं हैं. वन क्षेत्र को नौ फीसदी से हमने 12 फीसदी तक पहुंचाया है. इसके लिए बिहार को इंसेंटिव दिया जाना चाहिए. हमने बेहतर वित्तीय प्रबंधन किया. हमें उसका नुकसान उठाना पड़ रहा है. हमने विकास दर ऊंची की.हमें ग्रोथ के लिए केंद्र द्वारा प्रोत्साहित करना चाहिए था. अगर कोई राज्य सफर कर रहा है, तो इसे अलग से सहायता दी जाये. इसके लिए वह केंद्र को ज्ञापन भी देंगे.

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