।। अरुण कुमार ।।
(वरिष्ठ अर्थशास्त्री)
अरुण जेटली द्वारा पेश आम बजट मोटे तौर पर एक लोकलुभावन बजट है. इसमें गरीबों, दलितों, आदिवासियों, महिलाओं, बुजर्गों आदि सभी के लिए कुछ-न-कुछ घोषणाएं की गयी हैं. हालांकि पहले के बजट में भी ऐसी घोषणाएं होती रही हैं. अमूमन हर साल के बजट में घोषणाओं की भरमार होती है, लेकिन उसका क्रियान्वयन कैसे होगा, इसकी स्पष्ट रूपरेखा पेश नहीं की जाती है.
मसलन, पिछले बजट में वित्तीय घाटा कम करने के लिए एक लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, लेकिन बाद में कई योजनाओं के आवंटन में कटौती करनी पड़ी. दरअसल, गवर्नेंस का स्तर बेहतर होने पर ही घोषणाओं का पूरा लाभ जरूरतमंदों को मिल पायेगा.
बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर खासा जोर दिया गया है. इसके आवंटन में काफी वृद्धि की गयी है. इंफ्रास्ट्रक्चर के अलावा मैन्युफक्चरिंग क्षेत्र के लिए भी इस बजट में काफी कुछ है. मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के विकास से रोजगार सृजन की संभावनाओं में वृद्धि होगी. वित्त मंत्री ने संपत्ति कर को खत्म कर दिया है. मेरा मानना है कि इसे खत्म करने की बजाय सही तरीके से लागू करने की जरूरत थी.
सरकार ने अमीरों की आमदनी पर सरचार्ज लगाने की बात कही है और कहा गया है कि इससे 9 हजार करोड़ रुपये हासिल होंगे, लेकिन इससे कालेधन की अर्थव्यवस्था पर चोट नहीं पहुंचायी जा सकेगी. यह अच्छी बात है कि बजट में कालेधन के लिए व्यापक कानून बनाने की बात कही गयी है और इसमें सजा का भी प्रावधान किया गया है. लेकिन, यहां भी सवाल उठता है कि इस कानून का क्रियान्वयन कैसे होगा और यह विदेशों में जमा कालेधन को वापस लाने में कितना सहायक होगा. काले धन की अर्थव्यवस्था का आकार लगातार बढ़ता जा रहा है. इस पर प्रभावी रोक लगाये बिना आर्थिक सुधार का फायदा आम लोगों को नहीं मिलनेवाला है. हालांकि घोषणाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन हो जाये, तो देश में कालेधन को काफी कम किया जा सकता है.
सरकार ने प्रत्यक्ष करों में छूट दी है, इससे उद्योग को फायदा होगा. लेकिन, अप्रत्यक्ष करों को बढ़ा दिया है. सर्विस टैक्स बढ़ने से महंगाई बढ़ने की आशंका है. ऐसा लगता है कि वैश्विक बाजार में उभोक्ता वस्तुओं, जैसे कच्चे तेल, खाद्य पदार्थों, की कीमतों में आयी गिरावट और महंगाई दर कम होने का वित्त मंत्री ने फायदा उठाया है.
देश में केवल तीन फीसदी लोग ही आयकर रिटर्न दाखिल करते हैं. यहां आयकर भरनेवालों की संख्या काफी कम है, इसलिए कर नहीं देनेवालों पर शिकंजा कसने की जरूरत है. बजट में मध्यवर्ग को कर राहत पहुंचाने की कोशिश की गयी है, लेकिन यह फायदा उन्हीं को होगा, जिनकी आमदनी अधिक है. बजटीय घोषणा से 50 हजार रुपये से अधिक हर माह कमानेवालों को ही फायदा होगा.
गरीब आदमी के लिए पेंशन स्कीम की घोषणा अच्छा कदम है. इससे करोड़ों गरीबों को सामाजिक सुरक्षा मिल पायेगी. सरकार ने इसके अलावा सामाजिक सुरक्षा के लिए कुछ और भी घोषणाएं की है. साथ ही, सब्सिडी के बोझ को कम नहीं किया गया है. ऐसी आशंका थी कि बजट में यूरिया की कीमत को बाजार के हवाले किया जा सकता है, लेकिन किसानों के हितों को देखते हुए ऐसा नहीं किया गया.
कुल मिलाकर, अपने इस लोकलुभावन बजट में वित्त मंत्री ने आर्थिक तरक्की की लंबी रूपरेखा खींची है, अब इसका सही और समय से क्रियान्वयन करना सबसे बड़ी चुनौती है.
(विनय तिवारी से बातचीत पर आधारित)