नयी दिल्ली : सरकार ने निश्चित सीमा से कम वेतन पाने वाले कर्मचारियों के लिये भविष्य निधि (पीएफ) योगदान को वैकल्पिक बनाने का आज प्रस्ताव किया. हालांकि भले ही कर्मचारी अपना योगदान नहीं देने का विकल्प अपनाता है पर नियोक्ताओं को पीएफ में अपना योगदान देना जारी रखना होगा. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा, ‘निश्चित सीमा से कम मासिक आय वाले कर्मचारियों के लिये ईपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि) में योगदान वैकल्पिक होना चाहिए.
इसमें नियोक्ताओं के योगदान में कोई फर्क नहीं पडेगा और वह पहले की तरह बना रहेगा.’ हालांकि बजट प्रस्तावों में वेतन सीमा का जिक्र नहीं किया गया है. फिलहाल सभी कर्मचारियों को मूल वेतन तथा महंगाई भत्ते (डीए) का 12 प्रतिशत भविष्य निधि में योगदान करना पडता है. नियोक्ताओं को इतना ही प्रतिशत देना होता है. नियोक्ताओं के योगदान में से 8.33 प्रतिशत योगदान पेंशन में, 0.5 प्रतिशत इंप्लायज डिपोजिट लिंक्ड बीमा (ईडीएलआई) योजना में तथा शेष भविष्य निधि में जाता है.
बजट में यह भी प्रावधान है कि निजी भविष्य निधि ट्रस्ट को समय से पहले निकासी पर कर नहीं देना होगा. लेकिन इसके लिये शर्त यह है कि राशि 30,000 रुपये कम हो या उनकी कर देनदारी शून्य हो. यह सुविधा वरिष्ठ नागरिकों के लिये भी उपलब्ध होगी. मौजूदा प्रावधानों के तहत इस प्रकार के समय से पूर्व निकासी के संदर्भ में कर कटौती का प्रावधान है. साथ ही जेटली ने कर्मचारी भविष्य निधि के संदर्भ में कर्मचारियों को दो विकल्प देने का आज प्रस्ताव किया.
इसके तहत पहला, कर्मचारी या तो ईपीएफ को चुन सकते हैं अथवा नयी पेंशन योजना को अपना सकते हैं. ईएसआई के बारे में जेटली ने कहा कि कर्मचारियों को ईएसआई या बीमा नियामक विकास प्राधिकरण (इरडा) द्वारा मान्यता प्राप्त स्वास्थ्य बीमा उत्पाद में से किसी एक को चुनने का विकल्प होना चाहिए. वित्त मंत्री ने घोषणा की कि संबंधित पक्षों के साथ विचार-विमर्श के बाद इस बारे में संशोधित कानून लाया जाएगा.
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