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डॉ मनमोहन सिंह की छाया से कितना दूर है नरेंद्र मोदी का बजट?

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का पहला पूर्ण आम बजट लोकसभा में आज पेश हो गया. इसकी तरह-तरह से विवेचना हो रही है. लेकिन एक अहम सवाल यह है कि नरेंद्र मोदी सरकार का यह बजट अपनी पूर्ववर्ती डॉ मनमोहन सिंह की सरकार से कितना दूर है. नरेंद्र मोदी के हर फैसले […]

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का पहला पूर्ण आम बजट लोकसभा में आज पेश हो गया. इसकी तरह-तरह से विवेचना हो रही है. लेकिन एक अहम सवाल यह है कि नरेंद्र मोदी सरकार का यह बजट अपनी पूर्ववर्ती डॉ मनमोहन सिंह की सरकार से कितना दूर है. नरेंद्र मोदी के हर फैसले को प्रभावित करने वाले तत्व कई हो सकते हैं, लेकिन अंतिम रूप से उस पर उन्हीं की छाप दिखती है. वहीं, डॉ मनमोहन सिंह की सरकार के फैसले को कितना भी डॉ सिंह के होने के ही दावे क्यों नहीं किये जाते रहे हों, पर उस पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी की छाप ही महसूस की जाती रही थी.
नरेंद्र मोदी सरकार ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि वह सब्सिडी को खैरात के रूप में नहीं बांटती रहेगी. बल्कि उसके लिकेज को रोकेगी और उसका अधिक विवेकीकरण करेगी, ताकि वास्तविक जरूरतमंदों तक ही वह पहुंचे. वित्तमंत्री अरुण जेटली ने उद्योग जगत को लुभाने के लिए कॉरपोरेट टैक्स को अगले चार सालों के लिए 30 प्रतिशत से 25 प्रतिशत कर दिया है. उनका स्पष्ट मानना है कि यह प्रस्ताव निवेशकों को लुभाने वाला होगा, और जब निवेशक आयेंगे तो रोजगार का अवसर बढ़ेगा, जिससे देश में बेरोजगारी घटेगी और विकास दर तेज होगी.
नरेंद्र मोदी सरकार की इस बजट का जो एक बड़ा संदेश साफ तौर पर मिला है, वह यह कि सरकार ने न तो मध्यवर्ग को और न ही गरीब तबके को लुभाने की कोशिश की है. आम तौर पर पोपुलर बजट में वोट के लिए इस तरह की कवायद खूब की जाती रही है. जेटली ने इसलिए सब्सिडी को कम करने की तो बात नहीं की, लेकिन उसे बढ़ाने का एलान भी नहीं किया. यह जरूर कहा कि उसे अधिक तर्कसंगत बनाया जायेगा और उसकी लिकेज रोकी जायेगी. अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में सर्विस टैक्स बढ़ा कर मध्यवर्ग की कमर पर चोट कर दी. इस पर जेटली ने यह भी कहा है कि मध्यवर्ग अपना ख्याल खुद रखे. सरकार ने गरीबों को बीमा कवर देने के लिए महज एक रुपये मासिक के प्रीमियम वाली 2 लाख रुपये की बीमा योजना की घोषणा कर एक ऐतिहासिक कार्य किया है.
नरेंद्र मोदी सरकार ने पूर्व की वेलफेयर स्कीमों को बंद तो नहीं किया, लेकिन उसके प्रति वैसी दरियादिली नहीं दिखायी, जैसी यूपीए सरकार में दिखती थी. डॉ मनमोहन सिंह की सरकार में सोनिया-राहुल के सुझाव-सलाह के कारण वेलफेयर स्कीमों की भरमार होती थी. मोदी सरकार ने आधारभूत संरचना के विकास के लिए घरेलू निवेश पर जोर दिया. डॉ मनमोहन सिंह ने शायद इसलिए आज नरेंद्र मादी सरकार के पहले पूर्ण बजट को अच्छे इरादों की झलक जाहिर करने वाला तो बताया, लेकिन कहा कि इस बजट में कल्याणकारी योजनाओं के लिए अपर्याप्त धन आवंटित हुआ है. उन्होंने कहा कि 70 प्रतिशत लोगों गांव में रहते हैं, लेकिन मोदी सरकार के बजट में उन के लिए पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया.

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