शिक्षा मंत्री व तृणमूल महासचिव पार्थ चटर्जी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हुमायूं कबीर को पार्टी विरोधी बयान देने से बाज नहीं आने के कारण पार्टी से छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया गया है. उससे पहले उन्हंे कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था.
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हुमायूं कबीर तृणमूल से निष्कासित
कोलकाता. तृणमूल कांग्रेस की आंतरिक कलह बढ़ती जा रही है. तृणमूल विधायक स्वपन कांति घोष के निलंबन के एक दिन बाद गुरुवार को पूर्व मंत्री हुमायूं कबीर को पार्टी विरोधी बयान देने के आरोप में छह वर्षो के लिए तृणमूल कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया. शिक्षा मंत्री व तृणमूल महासचिव पार्थ चटर्जी ने संवाददाता […]
कोलकाता. तृणमूल कांग्रेस की आंतरिक कलह बढ़ती जा रही है. तृणमूल विधायक स्वपन कांति घोष के निलंबन के एक दिन बाद गुरुवार को पूर्व मंत्री हुमायूं कबीर को पार्टी विरोधी बयान देने के आरोप में छह वर्षो के लिए तृणमूल कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के करीबी रहे हुमायूं कबीर नवंबर, 2012 में कांग्रेस का दामन छोड़ कर तृणमूल में शामिल हो गये थे. उसके बाद उन्हें पशु संसाधन विकास मंत्री बनाया गया था. कबीर फरवरी, 2013 में रेजीनगर में उपचुनाव हार गये, जिसके बाद उनका मंत्री पद छिन गया. कांग्रेस छोड़ कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के बाद हुमायूं कबीर को दिग्गज नेता अधीर रंजन चौधरी का मूल प्रतिद्वंद्वी माना जा रहा था. सूत्रों के अनुसार, पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की ओर से बहरमपुर लोकसभा सीट से कलाकार इंद्रनील सेन को उम्मीदवार बनाये जाने का कबीर ने विरोध किया था. उनका कहना था कि उम्मीदवार किसी दिग्गज नेता को बनाया जाये. चुनाव में इंद्रनील सेन हार गये थे.
इसके बाद से ही कबीर और तृणमूल की दूरियां बढ़ने लगी थीं. सूत्रों के अनुसार पार्टी के एक आला नेता पर टिप्पणी किये जाने को लेकर पार्टी ने कबीर को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. नोटिस मिलने के बाद कबीर के तेवर और तल्ख हो गये. कथित तौर पर उन्होंने तृणमूल महासचिव मुकुल राय का पक्ष लेते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके भतीजे की आलोचना की. कबीर ने आरोप लगाया था कि तृणमूल सुप्रीमो अपने बाद अपने भतीजे को मुख्यमंत्री बनाना चाहती हैं लेकिन उनका सपना कभी भी पूरा नहीं होगा. आखिरकार गुरुवार को उन्हें पार्टी से छह वर्षो के लिए निष्कासित कर दिया गया.
यही उम्मीद थी : पार्टी के फैसले को लेकर हुमायूं कबीर ने कहा कि उन्हें यही उम्मीद थी. पार्टी की कथनी और करनी में काफी अंतर है. काफी उम्मीदें लेकर तृणमूल में शामिल हुआ था लेकिन काफी निराश हुआ. उन्होंने कहा कि भविष्य की रणनीति पर जल्द निर्णय लेंगे.
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