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भूमि कानून के खिलाफ कांग्रेस के अभियान पर काबू के लिए सरकार ने किया शर्मा के पत्र का इस्तेमाल

नयी दिल्ली: नए भूमि विधेयक की कांग्रेस की तीखी आलोचना की हवा निकालते हुए सरकार ने आज पूर्व वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा द्वारा 2012 में संप्रग शासनकाल के दौरान जतायी गयी आपत्तियों का हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि पुराने विधेयक का दीर्घकालीन प्रतिकूल प्रभाव पडेगा. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि तत्कालीन […]

नयी दिल्ली: नए भूमि विधेयक की कांग्रेस की तीखी आलोचना की हवा निकालते हुए सरकार ने आज पूर्व वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा द्वारा 2012 में संप्रग शासनकाल के दौरान जतायी गयी आपत्तियों का हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि पुराने विधेयक का दीर्घकालीन प्रतिकूल प्रभाव पडेगा.

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि तत्कालीन वाणिज्य और उद्योग मंत्री शर्मा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से विभिन्न आपत्तियोें पर विचार के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की थी क्योंकि विधेयक से न सिर्फ जमीन की कीमत में भारी वृद्धि होती बल्कि अधिग्रहण कार्यवाही काफी कठिन हो जाती.
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्यसभा में चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए जेटली ने शर्मा के पत्र को उद्धृत किया. शर्मा ने प्रधानमंत्री को भेजे अपने पत्र में भूमि अधिग्रहण विधेयक 2011 पर उद्योग द्वारा जतायी गयी आपत्तियों की ओर उनका ध्यान आकृष्ट किया था.
उन्होंने 25 मई 2012 के अपने पत्र में कहा था कि विधेयक के मौजूदा स्वरुप से भारत में विनिर्माण, औद्योगिकीकरण और शहरीकरण पर दीर्घकालीन प्रतिकूल प्रभाव पडेगा. पत्र का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि उन्होंने यह भी कहा था कि मौजूदा स्वरुप में इस प्रकार के विधेयक से प्रमुख आधारभूत ढांचा परियोजनाएं अव्यवहार्य हो जाएंगी तथा शहरीकरण की प्रक्रिया धीमी पड जाएगी.
शर्मा ने प्रभावित परिवारों में से 80 प्रतिशत की सहमति पर जोर दिए जाने का जिक्र करते हुए कहा था कि इससे अधिग्रहण की प्रक्रिया में देरी होगी और कई मामलों में आवश्यक बुनियादी ढांचा परियोजनाएं रुक सकती हैं.

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