राहुल सिंह
रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने अबतक के बजट की मान्य परंपराओं को पूरी तरह से तोड़ दिया है. जिस तरह का बजट वे लेकर आये, उसकी कल्पना शायद नरेंद्र मोदी सरकार के भी कई लोगों ने नहीं की होगी. सुरेश प्रभु ने अपने बजट को रेलवे का पुनजर्न्म की कवायद बताया. उनके रेल बजट में न तो पोपुलरिज्म है और न ही बहुत जल्दी बहुत कुछ कर गुजरने की तमन्ना. भारतीय जनमानस के मन में बहुत गहरे बैठे तुरत-फुरत ही समुद्र पर पुल बांधने जैसे उम्मीदों का रेलमंत्री को शायद आभास है, इसलिए उन्होंने बजट पेश करने से पहले ही सुबह दूरदर्शन से विशेष बातचीत में कह दिया कि हमें लंबा सफर तय करना है और कठिन रास्ते पर चलना है और एक वर्ष में बहुत कुछ नहीं हो सकता. उन्होंने रेलवे में थ्री एस यानी सुरक्षा, संरक्षा और सुविधा को बढ़ाने पर जोर दिया.
रेलमंत्री ने न तो तुरंत रेलवे से जुड़ी फैक्टरियां बैठाने की घोषणा की और न ही उन अटकलों को सच किया कि गरीब रथ की तरह सरकार कोई और सस्ती एसी ट्रेन चलायेगी. रेलमंत्री ने उम्मीदों के विपरीत चुनावी राज्य बिहार के लिए कोई लुभावनी घोषणा नहीं की. रेलमंत्री की फौरी घोषणा सिर्फ रेलवे में यात्री सुविधाओं को बेहतर करने तक सीमित हैं. रेलमंत्री ने यात्रियों को स्वच्छ ट्रेन-स्टेशन, शुद्ध भोजन-पानी, आसान तरीके से टिकट मिलने, सामान्य टिकटों की भी आसान उपलब्धता, बुजुर्र्गो, नि:शक्तों महिलाओं की सुविधा से जुड़े उपाय ही करने की बात कही. इसके अलावा तुरत-फुरत वाली कोई अन्य घोषणा रेलमंत्री ने नहीं की.
आर्थिक संकट से जूझ रही रेलवे में पहली बार निजी पूंजी निवेश को लेकर किसी सरकार ने अपने नजरिये में स्पष्टता दिखायी है. रेलमंत्री सुरेश प्रभु के अनुसार, अगले पांच साल में रेलवे में 8.5 करोड़ लाख रुपये निजी निवेश जुटाये जायेंगे. रेलवे ने प्राइवेट स्पांसर के माध्यम से भी ट्रेनें चलाने का एलान किया है. रेलमंत्री ने इंजन की क्षमता बढ़ाने की बात कही है और भारतीय ट्रेनों की स्पीड 200 किमी तक ले जाने का संकल्प दोहराया है, ताकि चीन के 300 किमी प्रति घंटे और जापान के 400 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली ट्रेनों के नक्शे-कदम पर आगे बढ़ा जा सके.
रेलमंत्री के बजट में एक अहम घोषणा यह है कि उन्होंने रेलवे की कमाई और खर्च के अनुपात को सुधारने पर जोर दिया है. रेलमंत्री ने कहा कि 2014-15 के आपरेटिंग रेसिओ 91.8 प्रतिशत को इस बार यानी 2015-16 में 88.5 प्रतिशत कर लिया जायेगा. अगर रेलमंत्री ऐसा कर पाये तो रेलवे के बिगड़ते आर्थिक सेहत को सुधारने की दिशा में यह एक अहम पहल होगी. रेलवे का ऑपरेटिंग रेसिओ लोकलुभावन घोषणाओं के कारण ही बिगड़ा, जो कभी 80-81 के आसपास होता था. वर्तमान में दुनिया के जिन देशों के पास उन्नत रेलवे है, वहां आपरेटिंग रेसियो 75 से 80 के बीच है. अगर रेलमंत्री ऑपरेटिंग रेसियो को कम कर लेते हैं, तो यह पिछले नौ साल में सबसे कम होगा, जो भारतीय रेलवे के कायापलट की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है.
देश के आर्थिक ढांचे की रीढ़ रेलवे को बढ़ाने के लिए इसकी दैनिक क्षमता को 2.1 करोड़ यात्री प्रतिदिन से बढ़ा कर सुरेश प्रभु ने 3 करोड़ करने की बात कही है. भविष्य की बढ़ती आबादी के मद्देनजर यह अहम संकल्प है. साथ ही उन्होंने कहा है कि अगले पांच साल में रेलवे पटरियों की क्षमता 10 प्रतिशत बढ़ा लेंगे.
रेलमंत्री ने रेलवे में प्रदूषण के स्तर को कम करने, रेल खर्च को कम करने के लिए विद्युतीकरण को अपनाने, पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए टूरिस्ट गाइड का प्रावधान, संपूर्ण स्वच्छता का लक्ष्य हासिल करने, रेलवे में हरित ऊर्जा का प्रयोग बढ़ाने जैसी अहम घोषणाएं की. रेलमंत्री की ये सभी घोषणाएं ऐसी हैं, जिसे साकार करने पर यात्रियों को निकट भविष्य में रेलवे की अपेक्षाकृत सुविधाजनक यात्र के अलावा कुछ हासिल नहीं होगा, लेकिन आने वालों सालों में ये कठोर कदम ही भारतीय रेल की दशा और दिशा बदलने वाली साबित होंगी, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को भी गति देगी और हमारी आने वाली पीढ़ियों के जीवन को भी सुखकर करेगी.