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14 वें वित्त आयोग की अनुशंसा निराशाजनक

14 वें वित्त आयोग की सिफारिशों पर केंद्र की मोदी सरकार ने केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 10 फीसदी बढ़ा कर 42 फीसदी कर दी है. केंद्र सरकार का दावा है कि केंद्र-राज्य संबंधों में यह क्रांतिकारी बदलाव की शुरुआत है और इससे राज्यों की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी और वे योजनाएं बनाने में […]

14 वें वित्त आयोग की सिफारिशों पर केंद्र की मोदी सरकार ने केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 10 फीसदी बढ़ा कर 42 फीसदी कर दी है. केंद्र सरकार का दावा है कि केंद्र-राज्य संबंधों में यह क्रांतिकारी बदलाव की शुरुआत है और इससे राज्यों की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी और वे योजनाएं बनाने में अधिक आत्मनिर्भर हो सकेंगे. लेकिन, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसका विरोध करते हुए कहा कि नये फॉमरूले से बिहार जैसे पिछड़े राज्यों को भारी घाटा होगा, क्योंकि केंद्र प्रायोजित योजनाओं और बीआरजीएफ की राशि बंद कर दी जायेगी. इससे पिछले वित्तीय आयोग की तुलना में बिहार को 1.3 फीसदी कम राशि मिलेगी.
पटना: 14वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को कहा कि इनसे बिहार को फायदा नहीं, बल्कि घाटा होगा. 14वें वित्त आयोग ने केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी की प्रतिशत 32 फीसदी से बढ़ा कर 42 फीसदी तो कर दी है, जो राज्यों के हित में है. लेकिन, बैकवर्ड रिजन ग्रांट फंड (बीआरजीएफ) और केंद्रीय प्रायोजित योजना (सेंट्रल स्पांस्र्ड स्कीम) को खत्म कर दिया जायेगा. इसे 10 फीसदी जो बढ़ोतरी की गयी है, उसी में जोड़ कर दिया जायेगा और बीआरजीएफ व केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं की राशि मिलनी बंद हो जायेगी. यह बिहार के साथ छलावा है. वास्तविकता में सभी को जोड़ दिया जाये, तो बिहार को फायदा होने की जगह नुकसान होगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखूंगा और मांग करूंगा कि केंद्र सरकार इस पर पुनर्विचार करे. केंद्र से हम सकारात्मक रिस्पांस की उम्मीद करते हैं. बिहार को मिलनेवाली विशेष सहायता कोई कृपा नहीं, बल्कि उसका कानूनन हक है. जल्दबाजी में कानून की अवहेलना नहीं की जा सकती है. इसके बावजूद केंद्र सरकार नहीं मानी, तो बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटायेगी.
केंद्र सरकार दे क्षतिपूर्ति
मुख्यमंत्री ने कहा कि गाडगिल-मुखर्जी फॉमरूले में बदलाव किया गया है. इससे भी केंद्र से आवंटन देने का जो फॉमरूला दिया गया है, उसकी वजह से भी समस्या उत्पन्न हो गयी है. इसमें जिन राज्यों में क्षेत्रफल और जंगल है, उन्हें फायदा होगा.
विकास का पहिया थमने का डर
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र की नयी नीति से बिहार के योजना आकार पर फर्क पड़ सकता है. हर साल योजना आकार में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हो रही थी. उसमें अब बढ़ोतरी कम और घाटा लगने की भी आशंका है. विकास के प्लान पर संकट आ जायेगा. यह न्यायोचित नहीं है. बिहार को पुनर्गठन के माध्यम से जो राशि मिलती है, उसमें कटौती होगी.

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