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ऑनलाइन ज्योतिष काउंसलिंग

राशियों के आराध्य देवों के पूजन से अशुभ ग्रहों की शांति रांची. प्रभात खबर कार्यालय में मंगलवार को ऑनलाइन ज्योतिष काउंसलिंग का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में ज्योतिषी अजय मिश्र ने पाठकों के सवालों के जवाब दिये. उन्होंने बताया कि जातक की कुंडली में राहु गोचर की अवस्था में आने पर अथवा चंद्र, मंगल, बुध […]

राशियों के आराध्य देवों के पूजन से अशुभ ग्रहों की शांति रांची. प्रभात खबर कार्यालय में मंगलवार को ऑनलाइन ज्योतिष काउंसलिंग का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में ज्योतिषी अजय मिश्र ने पाठकों के सवालों के जवाब दिये. उन्होंने बताया कि जातक की कुंडली में राहु गोचर की अवस्था में आने पर अथवा चंद्र, मंगल, बुध तथा गुरु के साथ होने पर राहु का पाप तत्व बढ़ जाता है. उस समय अधिक अनिष्ट फल मिलने की प्रबल संभावना होती है. जन्मकालीन सूर्य पर राहु का संचार होने से पिता को कष्ट तथा चंद्रमा पर राहु का संचार होने पर माता के लिए घातक माना जाता है. संचार किसी भी राशि में लगभग 18 माह का होता है. अत: शिव के पंचाक्षर मंत्रों का जाप, दुर्गा पूजन एवं तीर्थ यात्रा से उत्तर फल की प्राप्ति होती है. राशियों के अराध्य देवों के पूजन से अशुभ ग्रहों से शांति मिलती है. मेष का गजानन, वृष का कुल स्वामिनी, मिथुन का कुबेर, कर्क का महादेव, सिंह का सूर्य, तुला का कुल स्वामिनी, वृश्चिक का गणपति, धनु का दत्तात्रेय, मकर तथा कुंभ दोनों के लिए शनि तथा हनुमान, मीन के लिए दत्तात्रेय का पूजन करना चाहिए. उन्होंने बताया कि वर्ष के प्रारंभ में वृश्चिक, तुला तथा धनु राशि पर शनि की साढ़े साती भ्रमण करेगी, वहीं मेष तथा सिंह राशि वालों का अढ़ईया चलेगा. उन्होंने बताया कि होलाष्टक में शुभ कार्य नहीं किया जाना चाहिए. होलाष्टक होली से आठ दिन पूर्व फाल्गुन-शुक्ल पक्ष, अष्टमी से होलाष्टक माना जाता है. इसमें कुछ क्षेत्रों में जैसे सतलज, रावी, व्यास नदी तथा पुष्कर और सरोवर के तटवर्ती भाग में विवाह आदि मांगलिक कार्य वर्जित माना जाता है.

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