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कोलकाता में हुई मरीज की मौत

आसनसोल : भारतीय जीवन बीमा निगम के रिटायर्ड कर्मी तथा रेलपार डीपूपाड़ा निवासी अरुण दत्तगुप्ता (75) की मौत कोलकाता स्थित एक निजी अस्पताल में स्वाइन फ्लू के कारण हो गयी. मृतक की पत्नी शिवानी दत्तगुप्ता, पुत्री सास्वती दास व दामाद आशिष दास ने राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग में उक्त नर्सिग होम समेत कुछेक नर्सिग […]

आसनसोल : भारतीय जीवन बीमा निगम के रिटायर्ड कर्मी तथा रेलपार डीपूपाड़ा निवासी अरुण दत्तगुप्ता (75) की मौत कोलकाता स्थित एक निजी अस्पताल में स्वाइन फ्लू के कारण हो गयी. मृतक की पत्नी शिवानी दत्तगुप्ता, पुत्री सास्वती दास व दामाद आशिष दास ने राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग में उक्त नर्सिग होम समेत कुछेक नर्सिग होम के खिलाफ शिकायत करने का निर्णय लिया है. उनका आरोप है कि दबाब बना कर उनके पेशेंट को नर्सिग होम से निकाल दिया गया. दूसरे नर्सिग होम में ले जाने के क्रम में उनकी मौत हो गयी.
दामाद श्री दास ने बताया कि उनके ससुर रिटायर्ड होने के बाद प्रत्येक माह कुछेक दिन कोलकाता स्थित अपनी बड़ी बहन ज्योत्सना सेनगुप्ता व कुछ दिन अपनी पुत्री सारस्वती के साथ समय बिताते थे. बीते 10 फरवरी को वे कोलकाता में अपनी बहन से मिलने गये थे. सारस्वती दो-तीन दिन में एक बार कर अपने पिता का हाल-चाल लेने जाती थी. 17 फरवरी को सास्वती ने पिता को फोन किया, तो उनकी बुआ ज्योत्सना ने फोन रिसिव किया और कहा कि उनके पिता की तबीयत बिगड़ गयी है और गंभीर हालत में उन्हें कोलकाता स्थित जीडी हॉस्पिटल में भरती कराया गया है.
उसी रात को तीन बजे वे अपनी पत्नी सारस्वती और शिवानी के साथ कोलकाता पहुंचे, जहां उन्होंने दूसरे दिन चिकित्सकों से मुलाकात की. अस्पताल के चिकित्सकों ने बताया कि उनके पिता की हालत खराब है, उन्हें आइसीयू में भरती करना होगा. 19 फरवरी को उन्हें आइसीयू में भरती कराया गया. संध्या में टेस्ट शुरू हुए और इस दौरान स्वाइन फ्लू का भी टेस्ट हुआ. इसके बाद उक्त नर्सिग होम के चिकित्सकों ने दूसरे अस्पताल ले जाने की सलाह देते हुए कहा कि उनके अस्पताल में बेहतर चिकित्सक नहीं है. उन्होंने कोलकाता में वेलवीव अस्पताल से संपर्क किया और जीडी अस्पताल से वेलवीव में शिफ्ट किया.
जहां चिकित्सकों ने आरंभ में निमोनिया कहा, बाद में विभिन्न टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई. उन्होंने कहा कि 21 फरवरी को वे अपनी सास शिवानी दत्तगुप्ता, पत्नी सारस्वती के साथ अस्पताल गये तो चिकित्सकों ने दूसरे अस्पताल ले जाने की बात कही. अचानक इतने बड़े शहर में कहीं दूसरे अस्पताल ले जाना संभव नहीं बताया गया. संध्या में अस्पताल जाने पर देखा कि अस्पताल कर्मी उनके ससुर को स्ट्रेचर के माध्यम से लिफ्ट से नीचे उतार रहे है और आइडी अस्पताल ले जाने की तैयारी में है. पूछे जाने पर अस्पताल प्रबंधन ने उनके बुआ के पुत्र नचिकेता सेनगुप्ता के निर्देश की बात बतायी.
विरोध करने पर भी वे नहीं माने और जबरन एंबुलेंस में बिठा दिया. कुछ दूर जाने पर ही उनके ससुर की धड़कन बंद हो गयी और वापस अस्पताल ले आने पर चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. मृतक की पुत्री सारस्वती ने कहा कि अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण उनके पिता की मौत हुई है.
जबरन उनके पिता को अस्पताल से बाहर निकाला गया, जबकि अस्पताल का बिल एक लाख 10 हजार रुपये का भुगतान कुछ देर में करने की बात कहने पर भी उन्होंने उन्हें अस्पताल में नहीं रखा. श्री दास ने कहा कि कोलकाता के कई अस्पताल स्वाइन फ्लू के मरीजों को अस्पताल में दाखिल नहीं रहने दे रहे. इस कारण से मरीजों की मौत हो रही है, वे इस संबंध में राज्य स्वास्थ्य विभाग में शिकायत करेंगे.

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