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मुंडन संस्कारियों से पट गया रामरेखा घाट

बक्सर : जन्म से लेकर मृत्यु तक कुल 16 सनातन संस्कारों में एक मुंडन संस्कार भी है. सोमवार को मुंडन संस्कार को लेकर शहर में काफी चहल-पहल रही. बक्सर राम कर्मभूमि के रूप में विख्यात रामरेखा घाट पर सुबह से ही लोगों में आना शुरू हो गया था. श्रद्धा व पवित्र के लिए विख्यात रामरेखा […]

बक्सर : जन्म से लेकर मृत्यु तक कुल 16 सनातन संस्कारों में एक मुंडन संस्कार भी है. सोमवार को मुंडन संस्कार को लेकर शहर में काफी चहल-पहल रही. बक्सर राम कर्मभूमि के रूप में विख्यात रामरेखा घाट पर सुबह से ही लोगों में आना शुरू हो गया था. श्रद्धा व पवित्र के लिए विख्यात रामरेखा घाट ढोल व लोगों की भीड़ से काफी गुलजार था.
गुरु वशिष्ठ मुनि की तपो भूमि बक्सर में अवस्थित मां गंगा की अविरल धारा का महत्व पौराणिक गाथाओं में भी मिलता है. यहां के चर्चित रामरेखा घाट पर बच्चों के मुंडन के लिए तांता लगा रहता है. ऐसी मान्यता है कि इस स्थल पर मुंडन संस्कार कराने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और बच्चों का जीवन दीर्घायु होता है. शुभ मुहूर्त के लगन हो या फिर शुभ दिन यहां मुंडन संस्कार के लिए दूर-दराज से परिजन पहुंचते हैं और विधि-विधान द्वारा संस्कार को पूरा कर खुशी-खुशी घर लौटते हैं.
घाट को मिली प्रसिद्धि : पं. रामाधार मिश्र बताते हैं कि रामरेखा घाट के समीप त्रेताकाल में गुरु वशिष्ठ मुनि तपस्या में लीन थे कि ताड़का नामक राक्षसी ने इनकी तपस्या में बाधा डालना शुरू कर दिया. ताड़का के वध को लेकर गुरु वशिष्ठ ने अयोध्या से भगवान राम व लक्ष्मण को बक्सर बुलाये और इस भूमि पर ही धनुष-वाण चलाने की शिक्षा राम व लखन को दिये. राम ने ताड़का का वध कर गुरु के कष्टों को दूर किया. तभी से इस घाट का महत्व बढ़ गया और यहां हर संस्कार करानेवालों की बाधाएं दूर होती हैं.
घाटों पर रहती है गंदगी : शहर के पवित्र स्थल रामरेखा घाट के इर्द-गिर्द गंदगी का अंबार है. जबकि इस घाट पर हजारों लोग प्रतिदिन पहुंचते हैं. यहां वर्ष में दर्जनों बार मेला जैसा दृश्य रहता है. घाट पर गंदगी से गुजर लोग पहुंचते हैं और गंगा के पवित्र जल से स्नान कर मंगल भविष्य की कामना करते हैं. मुंडन संस्कार में पहुंचे विनोद ठाकुर, विमला देवी व धनुषधारी सिंह कहते हैं कि घाटों से गंदगी की सफाई करानी चाहिए. गंदगी के कारण गंगा भी मैली हो रही है.
दूर-दराज से पहुंचते हैं लोग : रामरेखा घाट के महत्व को लेकर यहां लंबी दूरी तय कर लोग पहुंचते हैं. मुंडन संस्कार हो या शादी विवाह इस घाट पर बिहार के आरा, बिक्रमगंज, सासाराम, नोखा, पीरो, झारखंड के झरियां, हजारीबाग, धनबाद के अलावे बक्सर जिले के तमाम लोग पहुंचते हैं.

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