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चेचक का टीका पहले भारतीयों ने खोजा!

चेचक का टीका पहले भारतीयों ने खोजाकेंद्रीय विज्ञान मंत्री हर्षवर्द्धन के बोलएजेंसियां, नयी दिल्लीकेंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्द्धन ने दावा किया है कि आधुनिक औषधि भारत में ईजाद हुई और चेचक का टीका एडवर्ड जेनर द्वारा खोजे जाने से पहले भारतीय इस बारे में जानते थे. पेशे से इएनटी (आंख, नाक, गला) सर्जन रह […]

चेचक का टीका पहले भारतीयों ने खोजाकेंद्रीय विज्ञान मंत्री हर्षवर्द्धन के बोलएजेंसियां, नयी दिल्लीकेंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्द्धन ने दावा किया है कि आधुनिक औषधि भारत में ईजाद हुई और चेचक का टीका एडवर्ड जेनर द्वारा खोजे जाने से पहले भारतीय इस बारे में जानते थे. पेशे से इएनटी (आंख, नाक, गला) सर्जन रह चुके वर्द्धन ने कहा कि आधुनिक औषिध में ली गयी ज्यादातर चीजें अमेरिकी रास्ते से भारत में लौटी हैं. इन जानकारियों का सबसे पहले नौवीं सदी में अरबी और फारसी भाषाओं में, फिर 17 वीं सदी में यूरोपीय भाषाओं में अनुवाद हुआ. उन्होंने बताया कि जब उन्होंने आयुर्वेद का इतिहास पढ़ा, तो पाया कि नौवीं सदी में बगदाद के खलीफा ने आयुर्वेद के सभी ज्ञान को अरबी और फारसी भाषाओं में अनुवाद करा लिया. यही ज्ञान 17 वीं सदी में यूरोपीय भाषाओं में अनूदित हुआ. यह सभी ज्ञान की चीजें हमारे पास वापस आयीं और यह हमे आधुनिक बतायी गयीं, जो अमेरिका के रास्ते से आयीं.वर्द्धन ने कहा कि 1798 में एडवर्ड जेनर द्वारा चेचक का टीका खोजे जाने से पहले से भारतीयों को इस के टीके के बारे में जानकारी थी. उन्होंने बताया कि मेडिसिन के क्षेत्र में लोगों को दिलाई जाने वाली हिप्पोक्र ेटिक शपथ से पहले यहां हमारे लोग चाहे सुश्रूत हों या अश्विनी या अन्य, वह शपथ के बारे में बात किया करते थे, जहां उन्होंने कहा है कि चिकित्सा से जुड़े लोगों को दया की भावना के साथ काम करना चाहिए पैसा कमाने के लिए काम नहीं करना चाहिए या ऐसा नहीं सोचना चाहिए. उन्होंने कहा, मैंने देखा है कि खुद आयुर्वेद में मनुष्य को 100 साल तक स्वस्थ्य रखने की जबरदस्त शक्ति है.

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