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मनरेगा घोटाले की निगरानी जांच ठप

झारखंड हाइकोर्ट ने दिया निर्देश, फिर भी रांची : हाइकोर्ट ने निगरानी को निर्देश है कि चाईबासा में मनरेगा योजना में हुई करोड़ों की गड़बड़ी की जांच की जाये. इसके बावजूद मनरेगा में हुई गड़बड़ी की निगरानी जांच ठप है. मामले की जांच सरकार के निर्देश पर वर्ष 2012 में निगरानी ने शुरू की. मामले […]

झारखंड हाइकोर्ट ने दिया निर्देश, फिर भी
रांची : हाइकोर्ट ने निगरानी को निर्देश है कि चाईबासा में मनरेगा योजना में हुई करोड़ों की गड़बड़ी की जांच की जाये. इसके बावजूद मनरेगा में हुई गड़बड़ी की निगरानी जांच ठप है. मामले की जांच सरकार के निर्देश पर वर्ष 2012 में निगरानी ने शुरू की. मामले के आरोपी तत्कालीन डीसी की संलिप्तता की जांच निगरानी को करनी है.
लेकिन अभी तक निगरानी यह पता नहीं कर सकी है कि मनरेगा योजना में कितनी की गड़बड़ी हुई है. मामले में कौन लोग शामिल हैं. पूर्व में जांचकर्ता फाइल में यह तक लिख चुके थे कि कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. लेकिन जब शिकायतकर्ता पूर्व सांसद बागुन सुम्ब्रई ने इसका विरोध किया, तब जाकर निगरानी के अधिकारियों ने जांचकर्ता की अनुशंसा को खारिज कर मामले की फिर से जांच शुरू की.
जब मामले की फिर से जांच शुरू हुई, तब निगरानी के अधिकारी अंकेक्षण आपत्तियों के संबंध में जांच करने लगे. तब निगरानी के अधिकारियों ने जांचकर्ता को निर्देश दिया कि यह मामला सिर्फ अंकेक्षण आपत्ति और इसके निराकरण तक सीमित नहीं है. इसलिए मामले में शामिल अधिकारियों के आपराधिक संलिप्तता की जांच कर साक्ष्य के आधार पर कार्रवाई की जाये. जब आपराधिक संलिप्तता के संबंध में जांच शुरू हुई, तब जांचकर्ता ने निगरानी के अधिकारियों को यह तर्क दिया कि गड़बड़ी में शामिल अधिकारियों की संपत्ति की जांच की आवश्यकता है. ताकि यह पता लगाया जा सके कि अगर गड़बड़ी हुई है तो संबंधित अधिकारी ने आय से कितने अधिक की संपत्ति अजिर्त की है. लेकिन इस बिंदु पर निगरानी की जांच पूरी नहीं हो सकी.

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