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प्रेट्रोगेट कांडः आइबी के रडार पर हैं पेट्रोलियम मंत्रालय के दो अधिकारी

नयी दिल्ली : पेट्रोलियम मंत्रालय में कॉरपोरेट जासूसी करने में शामिल बड़े औद्योगिक घरानों के अधिकारी, पत्रकार व मंत्रालय के अधिकारियों-कर्मचारियों की संलिप्तता उजागर होने के बाद देश की राजनीति व बिजनेस जगत के गलियारे में हंगामा मच गया है. केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज मीडिया से कहा कि इस मामले में दोषियों को […]

नयी दिल्ली : पेट्रोलियम मंत्रालय में कॉरपोरेट जासूसी करने में शामिल बड़े औद्योगिक घरानों के अधिकारी, पत्रकार व मंत्रालय के अधिकारियों-कर्मचारियों की संलिप्तता उजागर होने के बाद देश की राजनीति व बिजनेस जगत के गलियारे में हंगामा मच गया है.

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज मीडिया से कहा कि इस मामले में दोषियों को बख्शा नहीं जायेगा और जल्द ही बड़ी मछलियां भी पकड़ में आयेंगी. उन्होंने कहा कि यह सब लंबे समय से चल रहा था और हमारी जागरूकता के कारण इसका खुलासा हो सका. वहीं, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने भी दोषियों पर कठोर कार्रवाई करने का गृहमंत्री का संकल्प दोहराया. साथ ही मीडिया के इस सवाल पर कि क्या इससे उद्योग जगत पर गलत असर पड़ेगा, उन्होंने कहा कि देश की सरकार के मालिक देश के गरीब हैं.
सूत्रों के अनुसार, इस पूरे मामले में आइबी के रडार पर पेट्रोलियम मंत्रालय के दो संयुक्त सचिव हैं. बताया जा रहा है कि इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय को आइबी ने रिपोर्ट किया है. ये अधिकारी सरकारी डाक्यूमेंट को लिक करने में जुटे थे. सूत्रों का कहना है कि आइबी पिछले छह महीने से इस पूरे मामले पर नजर रख रही थी. आइबी की नजर इन दोनों अधिकारियों के विभिन्न मंत्रालयों में काम करते हुए पिछले दो साल के विदेश दौरे पर भी है. अब इस जासूसी मामले की आंच रक्षा मंत्रालय सहित सामरिक महत्व के कई मंत्रालयों तक महसूस की जा रही है. दिल्ली पुलिस ने आज इस पूरे मामले को राष्ट्रीय सुरक्षा क लिए खतरा बताया है.
दिल्ली पुलिस ने भी इस मामले में अबतक जो गिरफ्तारियां की है, वह आइबी के इनपुट के आधार पर ही की है.सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री कार्यालय इस पूरे मामले पर खुद सीधे निगाह रख रहा है. उसे सितंबर में ही आइबी ने यह बताया था कि बहुत सारे अधिकारी गोपनीय दस्तावेजों व सूचनाओं को लिक करने में लगे हैं. इसी क्रम में आरोपियों को रंगे हाथों पकड़ने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाये गये.
उधर, इस मामले में आज दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने पांच आरोपियों को मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट संजय खनगवाल के समक्ष पेश किया और उन लोगों से पांच दिनों तक हिरासत में पूछताछ करने के लिए अदालत से अनुमति मांगी. पुलिस ने जिन पांच आरोपियों को अदालत में पेश किया, उनमें आरआइएल के शैलेश सक्सेना, एस्सार के विनय कुमार, केर्यंस के केके नाइक, जुबिलेंट एनर्जी के सुभाष चंद्रा और रिलायंस एडीएजी के ऋषि आनंद शामिल हैं.
इन पांच आरोपियों की गिरफ्तारी के साथ ही इस मामले में अब तक 12 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं. सात अन्य आरोपियों को कल अदालत में पेश किया गया था. इनमें से चार को 23 फरवरी तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया जबकि तीन को दो हफ्ते के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. पुलिस के अनुसार, कंपनियों के ये अधिकारी चुराये गये दस्तावेज प्राप्त करते थे जो उनके कार्यालय परिसरों पर छापे के दौरान बरामद किये गये.
कल इस मामले में गिरफ्तार सात लोगों में पेट्रोलियम मंत्रालय के दो कर्मचारी और तीन बिचौलिये शामिल हैं. इसके अलावा दो ऊर्जा सलाहकारों शांतनु सैकिया और प्रयास जैन को भी गिरफ्तार किया गया है. शांतनु पूर्व पत्रकार हैं और अपना एक पोर्टल पेट्रो वेब चलाते हैं. पांच कंपनी अधिकारियों को कल शाम गिरफ्तार किया गया.
आरोपी पत्रकार शांतनु ने आरोप लगाया कि वह पेट्रोलियम मंत्रालय में 10 हजार करोड़ के घोटाले का खुलासा कर रहे थे इसीलिए उन पर यह कार्रवाई हुई. पुलिस का कहना है पेट्रोलियम मंत्रालय का कर्मचारी आसाराम अपने बेटों लालता प्रसाद और राकेश के साथ कई बरसों से कागज़ों की चोरी कर रहा था. मंत्रालय के अफसरों के एक साल के कॉल रिकॉर्डस की जांच होगी.

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