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विकास के नाम पर पानी का बाजारीकरण

– गंगा मुक्ति आंदोलन की वर्षगांठ सह तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकर्ता सम्मेलन प्रतिनिधि, कहलगांव विकास के नाम पर गरीबों, वंचित को हाशिये की ओर धकेला जा रहा है. नदी व जल नीति भी इसी से संबंधित है. गंगा नदी पर 16 बराज बनाने की योजना, पानी का बाजारीकरण इसी नीति के अंग हैं. ये बातें […]

– गंगा मुक्ति आंदोलन की वर्षगांठ सह तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकर्ता सम्मेलन प्रतिनिधि, कहलगांव विकास के नाम पर गरीबों, वंचित को हाशिये की ओर धकेला जा रहा है. नदी व जल नीति भी इसी से संबंधित है. गंगा नदी पर 16 बराज बनाने की योजना, पानी का बाजारीकरण इसी नीति के अंग हैं. ये बातें गंगा मुक्ति आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक अनिल प्रकाश ने कहीं. श्री प्रकाश काली घाट कागजी टोला में आयोजित गंगा मुक्ति आंदोलन की 33वीं वर्षगांठ सह तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकर्ता सम्मेलन के दूसरे दिन शनिवार को बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि आज वार्ड पार्षद से नगर निगम पंचायत आदि संस्थान सत्ता का केंद्र बन गया है. गंगा मुक्ति आंदोलन व्यापक जनसंगठन के रूप में तैयार किया जायेगा. अलग से मछुआरे व जल श्रमिक संगठन को मजबूत किया जायेगा. यह संगठन लचीला होगा. इसमें महिला सहित हर वर्ग के लोगों को प्रतिनिधित्व दिया जायेगा. इसकी स्थानीय इकाई स्वयं निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होंगे. संगठन को उत्तराखंड से लेकर पश्चिम बंगाल तक और अन्य राज्यों तक बढ़ाया जायेगा. इससे कलाकार साहित्यकार, मीडिया के लोग, अर्थशास्त्री, इंजीनियर आदि जुड़ेंगे. उन्होंने बताया कि वाराणसी में अप्रैल में गंगा मुक्ति आंदोलन का राष्ट्रीय महासम्मेलन होगा, जिसमें देश के दक्षिणी क्षेत्र के अलावा नेपाल, बांग्लादेश के सामाजिक कार्यकर्ताओं के अलावा बंगाल, यूपी, उत्तराखंड, बिहार के वैज्ञानिक व सभी समुदाय के लोग शामिल होंगे.

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